नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को औपचारिक तौर पर बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें संसद भवन में पार्टी की सदस्यता दिलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई में जब शपथ ली तो जयशंकर की एंट्री चौंकाने वाला नाम थी। जयशंकर को पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की जगह कैबिनेट में शामिल किया था। सुषमा ने इस बार चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था। जयशंकर विदेश विभाग में सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं।
जयशंकर देश के जाने माने रणनीतिकार के सुब्रहमण्यम के बेटे हैं। उन्हें पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। पीएम मोदी और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोवाल के साथ उस तिकड़ी का अहम हिस्सा हैं जिन्होंने देश की विदेश नीति को नई दिशा देने में अहम रोल अदा किया है। विशेषज्ञों की मानें तो एक विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर का रवैया, पीएम मोदी की आधुनिक और रिस्क लेने वाली विदेश नीति के साथ फिट बैठता है। जयशंकर ने देश के राजदूत के तौर पर अमेरिका में काम किया।
उसके बाद साल 2015 में उन्हें विदेश सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया। वह साल 1977 के आईएफएस ऑफिसर हैं। उनके पास परमाणु मसलों से जुड़ी कूटनीति के साथ ही अमेरिका और चीन के साथ संबंधों का काफी अनुभव है। साल 2008 में अमेरिका के साथ हुई असैन्य परमाणु डील में उन्होंने बड़ा रोल अदा किया था। जयशंकर दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएट हैं। उनके पास राजनीति विज्ञान में मास्टर की डिग्री है। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में जवाहर लाल नेहरु (जेएनयू) से एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई की।