नई दिल्ली। स्कूलों में पढ़ने वाले हर बच्चे के स्वास्थ्य पर सरकार की अब पैनी नजर रहेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर एक बड़ी योजना बनाई है। जिसके तहत स्कूलों में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे के स्वास्थ्य की अब साल में एक बार अनिवार्य रूप से जांच होगी। स्कूलों में यह पूरी कवायद मिड-डे मील योजना के तहत संचालित होगी। बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से चलाए जा रहे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को विस्तार दिया जाएगा। इसके तहत अब इसे स्कूलों से भी जोड़ा जाएगा। जहां मोबाइल हेल्थ टीम पहुंचकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करेगी।
इस दौरान स्वास्थ्य से जुड़ी करीब तीस तरह की गंभीर बीमारियों की जांच होगी। साथ ही यह सुनिश्चित भी किया जाएगा, कि इस जांच से एक भी बच्चा छूटे नहीं। स्कूली बच्चों में पढ़ाई के दौरान सामने आ रही तरह-तरह बीमारियों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। इसकी शुरूआत प्राथमिक स्कूलों से होगी। बाद में इसे 12 तक के स्कूलों में भी विस्तार दिया जाएगा। इस पूरी योजना में सरकारी और सहायता प्राप्त गैर-सरकारी स्कूलों दोनों ही शामिल किए गए है। योजना के स्कूली बच्चों को रक्त की कमी से बचाने के लिए उन्हें अब नियमित रूप से आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जाएगी।
स्कूलों में अनिवार्य रुप से मनेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस
स्कूलों बच्चों को कृमि (पेट के कीड़े) और उससे पैदा होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए स्कूलों में हर साल अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाने के भी निर्देश दिए गए है। फिलहाल बच्चों को कृमि से बचाने के लिए यह योजना काफी समय से चलाई जा रही है, लेकिन इसका सभी स्कूलों में अभी ठीक तरीके से अमल नहीं हो पा रहा है। देश में हर साल 10 फरवरी को कृमि दिवस मनाया जाता है।