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चीन को टक्कर देने की तैयारी, भारत अगले महीने पहला 'अंतरिक्ष युद्धाभ्यास' करेगा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 8 2019 10:20AM | Updated Date: Jun 8 2019 10:21AM
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नई दिल्ली। अंतरिक्ष में चीन को टक्कर देने और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को और भी मजबूत करने के लिए भारत ने तैयारी कर ली है। भारत ने मार्च में एंटी-सैटलाइट (A-Sat) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था और हाल ही में ट्राई सर्विस डिफेंस स्पेस एजेंसी की शुरुआत भी की है। भारत की योजना है कि अगले महीने अंतरिक्ष मे पहला युद्धाभ्यास किया जाए। इसका नाम 'IndSpaceEx' दिया गया है। इससे पहले मिशन शक्ति के जरिए भारत ने चीन को टक्कर दी थी और अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत किया था।
 
नई योजना का नाम इंडस्पेसएक्स (‘IndSpaceEx’) है। यह अभ्यास व्यापक रूप से टेबल-टॉप वार गेम पर आधारित होगा। जिसमें सैन्य और वैज्ञानिक समुदाय के हितधारक हिस्सा लेंगे लेकिन यह उस गंभीरता को दर्शाता है जिसमें भारत चीन जैसे देशों से अपनी अंतरिक्ष संपत्ति पर संभावित खतरों का मुकाबला करने की आवश्यकता पर विचार कर रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अंतरिक्ष का सैन्यकरण होने के साथ ही प्रतिस्पर्धा भी हो रहा है।
 
इस अभ्यास का मुख्य लक्ष्य रक्षा मंत्रालय के इंडीग्रेटिड डिफेंस स्टाफ के अतंर्गत जुलाई के आखिर में होने वाले आवश्यक अंतरिक्ष और काउंटर-स्पेस क्षमताओं का आकलन करना है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हम अपनी सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की युद्ध के इस अंतिम मोर्चे में रक्षा कर सकते हैं।' दूसरे अधिकारी ने कहा, 'भारत को अंतरिक्ष में निगरानी, संचार, मिसाइल की पूर्व चेतावनी और सटीक टारगेट लगाने जैसी चीजों की आवश्यकता है।
 
इससे न केवल हमारे सशस्त्र बलों की विश्वसनीयता बढ़ेगी बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा भी मजबूत होगी। ऐसे में इंडस्पेसएक्स हमें अंतरिक्ष में रणनीतिक चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा, जिन्हें संभालने की बहुत जरूरत है।' चीन ने जनवरी 2007 में मौसम उपग्रह के खिलाफ ए-सैट मिसाइल का उपयोग किया था। इससे उसने अपनी सैन्य क्षमताओं को काइनेटिक (प्रत्यक्ष चढ़ाई मिसाइलों, सह-कक्षीय मार उपग्रहों) के साथ ही नॉन-काइनेटिक (लेजर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स) हथियारों के तौर पर अंतरिक्ष में विकसित किया था।
 
उसके महत्वकांक्षी कार्यक्रम के एक और संकेत के तौर पर जो अमेरिका के अतंरिक्ष में प्रभुत्व को खतरे में डालती है, चीन ने तीन पहले येलो सी में जहाज से सात सैटेसाइटों वाले एक रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। भारत चीन की बराबरी नहीं कर सकता। जबकि वह लंबे समय से स्थाई और मजबूती से अंतरिक्ष कार्यक्रमों को अंजाम दे रहा है इसके बावजूद वह चीन, जिसने संचार, नेविगेशन, पृथ्वी अवलोकन और अन्य उपग्रहों से मिलकर 100 से अधिक अंतरिक्ष यान मिशन को अंजाम दिए हैं।
 
भारत के सशस्त्र बल अब भी दो समर्पित सैन्य उपग्रहों के अलावा निगरानी, नेविगेशन और संचार प्रयोजनों के लिए बड़े पैमाने पर दोहरे उपयोग वाले रिमोट सेंसिंग उपग्रह का उपयोग करते हैं। मिशन शक्ति के जरिए भारत ने पहली बार विश्वसनीय काउंटर-स्पेस क्षमता विकसित करने की तरफ तब पहला कदम उठाया, जब पृथ्वी की कक्षा में स्थित 283 किलोमीटर की ऊंचाई 740 किलो के माइक्रोसैट-आर सैटेलाइट को नष्ट करने के लिए 19 टन की इंटरसेप्टर मिसाइल (लियो) को 27 मार्च को लॉन्च किया। डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने कहा था कि भारत काउंटर स्पेस क्षमताओं को विकसित करने का काम कर रहा है।
 
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