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एडमिरल लांबा की ‘मिशन आधारित तैनाती’ से बढा नौसेना का दम-खम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 30 2019 3:41PM | Updated Date: May 30 2019 3:41PM
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नई दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा चार दशक से भी अधिक समय तक विशिष्ट सेवा के बाद शुक्रवार को सेवानिवृत हो जायेंगे। वाइस एडमिरल कर्मबीर सिंह उनकी जगह नौसेना की कमान संभालेंगे।  नौसेना के 23 वें प्रमुख रहे एडमिरल लांबा ने कैरियर के अलग अलग पड़ावों पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवासला, रक्षा सेवा स्टाफ कालेज वैलिंगटन, रक्षा प्रबंधन कालेज सिकन्दराबाद और लंदन स्थित रॉयल कालेज आफ डिफेंस स्टडीज से प्रशिक्षण लिया। वर्ष 1978 में कमीशन के बाद विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए वह नौसेना प्रमुख के शीर्ष पद पर पहुंचे। समुद्र में विभिन्न भूमिकाओं में तैनातियों के साथ-साथ उन्हें संचालन, प्रशिक्षण और ट्राई सर्विस में खासा लंबा अनुभव रहा है।  एडमिरल लांबा ने अपने कार्यकाल में नौसेना में संचालन, प्रशिक्षण और संगठनात्मक स्तर पर कई महत्वपूर्ण बदलाव किये।

जून 2017 में ‘मिशन आधारित तैनाती’ की उनकी अवधारणा ने नौसेना की संचालन प्रणाली में बड़ा बदलाव किया। इससे नौसेना के युद्धपोत, विमान और अन्य प्लेटफार्म सदैव मिशन मोड में रहते हैं और वे समुद्री आतंकवाद और समुद्री लुटेरों से निपटने के किसी भी अभियान के लिए बिना समय गंवाये सकते हैं। इसी अवधारणा के चलते भारतीय नौसेना हिन्द महासागर में सुरक्षा के पर्याय के रूप में उभरकर आयी है। किसी भी तरह की मुसीबत या आपदा के समय भी नौसेना के प्लेटफार्म सबसे पहले पहुंचकर राहत प्रदान करते हैं। उनके कार्यकाल में नौसेना का दूसरी नौसेनाओं के साथ परस्पर तालमेल, प्रशिक्षण और आदान-प्रदान बढा है जिससे भारत की रक्षा कूटनीति को गति मिली है तथा हिन्द प्रशांत क्षेत्र में वह नयी ऊंचाई पर पहुंची है।

इस दौरान जूनियर अधिकारियों के लिए सी-राइडर प्रोग्राम, अभ्यास संबंध, अधिकारियों के लिए क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा कोर्स और विदेशी नौसेना प्रमुखों के लिए गोवा में विशेष सम्मेलन का आयोजन किया गया जिससे मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग मजबूत हुआ। एडमिरल लांबा की कमान में मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशीकरण को बढावा मिला और अभी देश में नौसेना के लिए 49 पोत और पनडुब्बी बनायी जा रही हैं। इनमें देश में ही बनाया जा रहा पहला विमानवाहक पोत विक्रांत भी शामिल है। नौसेना की भविष्य की जरूरतों को देखते हुए 2015 से 2030 तक की अगले 15 सालों की रणनीति और योजना पर तेजी से काम चल रहा है।

 

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