नई दिल्ली। 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने कहा कि आर्थिक संरचना, आबादी संबंधी प्रबंधन और प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टि से राज्यों से जुड़े विशिष्ट मुद्दों को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व का समुचित वितरण करना चुनौतीपूर्ण है। सिंह ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के 10वें वार्षिक दिवस पर आयोजित व्याख्यान में कहा कि उनकी कोशिश समानता की सराहना करते हुए दक्षता को पुरस्कृत करने की होगी। उन्होंने एक समान अवसर सुनिश्चित करने वाले एक बाजार नियामक के रूप में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि बड़ी तेजी से वैश्वीकृत एवं आपस में निर्भर होती दुनिया में आयोग की भूमिका को अत्यंत गतिशील एवं जीवंत बनाने की जरूरत है। उन्होंने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि बड़ी तेजी से वैश्वीकृत एवं आपस में निर्भर होती दुनिया और भी ज्यादा निजी निवेश आकर्षित करने में समर्थ होगी एवं राज्य सरकारें अपने यहां सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने में इससे लाभ उठा सकती हैं।
सिंह ने एक बाजार नियामक गठित करने की आवश्यकता बताते हुये कहा कि बाजारों में समुचित प्रतिस्पर्धा संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित करती है और इसके साथ ही नवाचार भी संभव हो पाता है। उन्होंने कहा कि भारत में अब तक जो आर्थिक सुधार लागू किए गए हैं, उनके तहत मुख्यत: उत्पाद बाजार पर फोकस किया गया है और अब समय आ गया है कि फैक्टर मार्केट पर भी फोकस किया जाए, जिनमें श्रम एवं भूमि कानूनों में सुधार और पूंजी तक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल हैं। इससे पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि आयोग एक युवा, लेकिन अनुभवी नियामक है और इसने संबंधित कानूनों पर विश्वसनीय ढंग से अमल और हितधारकों के साथ नियमित संवाद के जरिए बाजारों में प्रतिस्पर्धा की संस्कृति विकसित करने की कोशिश की है।