नई दिल्ली। देश में 1990 से 2016 तक दिल की विभिन्न बीमारियों के कारण मृत्यु दर में 34 फीसदी की वृद्धि हुई है और ये समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गैर संचारी रोगों के कारण समय पूर्व मौतों (30 से 69 वर्ष) के मामलों में जोखिम को कम करने का लक्ष्य तय किया है जिसमें 2025 तक 25 फीसदी की कमी लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। अपोलो समूह अस्पताल के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ प्रताप सी. रेड्डी ने गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एक अनुमान के अनुसार विश्व में प्रत्येक वर्ष एक करोड़ 70 लाख लोेगों की मौतें दिल की बीमारियों से हो रही हैं और इनमें आधे मामले जीवन शैली और निष्क्रियता से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में दिल की बीमारियों से पीड़ति मरीजों की चुनौतियों को समझना और इसके लिए सशक्त वैज्ञानिक द्वष्टिकोण अपनाना समय की मांग है। सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियालॉजिस्ट डॉ साईं सतीश ने इस मौके पर बताया कि अपोलो अस्पताल में अब विदेशों से चिकित्सक प्रशिक्षण लेने के लिए आ रहे हैं जो दिल की बीमारियों से लड़ने में भारतीय विशेषज्ञता का सबसे बेहतर सबूत है। उन्होंने बताया कि अपोलो अस्पताल 75 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों के दिल का आपरेशन बहुुत ही विशेषज्ञता वाली विधि टीएवीआर के जरिए करने में सक्षम हैं और जो मरीज सर्जरी नहीं करा पाते हैं उन्हें मिनीमल इनवेसिव थेरेपी दी जाती है।
अपोलो के अन्य वरिष्ठ चिकित्सक डॉ सेनगोटुवेलू जी ने बताया कि अस्पताल मरीजों को आधुनिक चिकित्सा सेवायें देने के लिए प्रतिबद्ध है और यहां ट्रांसकैथेटर आर्योटिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) सबसे अत्याधुनिक प्रकिया है। इसमें मरीज के दिल के ठीक से नहीं काम करने वाल्व को मिनीमल इनवेसिव प्रकिया के द्वारा बदला जाता है। इस प्रकिया में छाती में चीरा लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है और यह ओपन हार्ट सर्जरी का सबसे बेहतर विकल्प है। दिल की बीमारियों में कोरोनरी धमनी रोग, दिल का दौरा, एरिदमियास, दिल के वॉल्व में खराबी, जन्मजात हृदय रोग, कार्डियोमायोपैथी आदि सबसे आम हैं। इनमें से अधिकतर मामलों में निष्क्रिय जीवन शैली और शराब का अधिक सेवन तथा धूम्रपान भी एक कारक है।