नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक फिनटेक क्षेत्र में रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स को लेकर अगले दो महीने में दिशानिर्देश जारी करेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने सोमवार को यहां नीति आयोग द्वारा फिनटेक पर आयोजित सम्मेलन में कहा कि रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स एक ऐसा तरीका है जो किसी नयी प्रौद्योगिकी या प्रणाली को अमल में लाने से पहले नियामक की देख-रेख में प्रयोग करने और सीखने में मदद करता है।
उन्होंने कहा कि रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स फिनटेक कंपनियों को कम लागत और कम कीमत पर नये नवोन्मेषी उत्पाद लाने में सहयोग करेगा। इसके लिए केन्द्रीय बैंक एक रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स बनाएगा जिसके लिये अगले दो महीने में दिशानिर्देश जारी किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि फिनटेक एवं डिजिटल बैंकिंग पर रिजर्व बैंक के कार्यसमूह ने नवंबर 2017 में रेग्यूलेटरी सैंडबॉक्स बनाने का सुझाव दिया था। देश में वित्तीय सेवाओं तथा वित्तीय समावेश की स्थिति में भारी बदलाव लाने की क्षमता फिनटेक में है। उन्होंने कहा कि इससे लागत कम होगी और वित्तीय सेवाओं की पहुंच तथा गुणवत्ता बढ़ेगी। दास ने कहा कि फिनटेक का प्रभावी क्रियान्वयन करने और प्रणाली पर इसका असर कम करने के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होगी।
रिजर्व बैंक ने फिनटेक कंपनियों के साथ भागीदारी के लिए बैंकों को प्रोत्साहित किया है ताकि यह नवोन्मेष के जरिये वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने में मददगार हो सके। उन्होंने कहा कि फिनटेक की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिये इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिनटेक उत्पादों के समक्ष सीमापार के कानूनों और नियमनों की भी चुनौती आ सकती है। जानकारियों की विश्वसनीयता तथा उपभोक्ताओं का संरक्षण भी उन मुद्दों में है जिनका समाधान किये जाने की जरूरत है। फिनटेक क्रांति के मोर्चे पर भारत के अग्रणी होने की बात पर जोर देते हुए कहा कि एक हालिया सर्वेक्षण में फिनटेक अपनाने के मामले में देश विश्व में दूसरे स्थान पर रहा है। उन्होंने फिनटेक कंपनियों द्वारा भारी संख्या रोजगार के अवसर सृजित किये जाने का उल्लेख करते हुये कहा कि देश में अभी 1,218 फिनटेक कंपनियां परिचालन में हैं।