नई दिल्ली। भारतीय सेना को जल्द ही उन ग्रेनेड से आजादी मिल जाएगी जो सेना के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। अभी जो ग्रेनेड हैंड ग्रेनेड नंबर-36 फौज में इस्तेमाल हो रहे हैं उनमें फ्यूज होने की बहुत ज्यादा शिकायत है। अब सेना को 10 लाख नए हैंडग्रेनेड मिलेंगे। डिफेंस एक्युजिशन काउंसिल ने इसकी खरीद को मंजूरी दे दी है। पहले ये नए हैंडग्रेनेड रक्षा मंत्रालय की आॅर्डिनंस फैक्टरी को बनाने थे, लेकिन उसके हैंडग्रेनेड टेस्ट में फेल हो गए। अब नए हैंडग्रेनेड नागपुर की एक प्राइवेट कंपनी बनाएगी। यह प्रॉजेक्ट करीब 530 करोड़ रुपए का है।
ऑर्डिनंस फैक्टरी के ग्रेनेड टेस्ट में फेल
नए हैंड ग्रेनेड की डिमांड 2010 से ही की जा रही है। तब ऑर्डिनंस फैक्टरी बोर्ड से भारतीय सेना के लिए हैंड ग्रेनेड बनाने को कहा गया। डीआरडीओ ने इसका डिजाइन बनाया और ओएफबी को दिया, लेकिन 2011 से 2017 तक यानी सात सालों तक डीआरडीओ और ओएफबी के बीच कभी डिजाइन को लेकर, कभी मैन्युफैक्चरिंग को लेकर तो कभी ट्रांसफर आॅफ टेक्नोलॉजी को लेकर मतभेद होते रहे, जिसकी वजह से हैंडग्रेनेड का काम अटका रहा। इसके बाद डीआरडीओ ने नागपुर की एक प्राइवेट कंपनी इकनॉमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड को हैंड ग्रेनेड का डिजाइन दिया। फौज ने ओएफबी और नागपुर की कंपनी दोनों से कहा कि वे 1000-1000 हैंडग्रेनेड बनाकर दें, ताकि उनका टेस्ट किया जा सके।
मारने और शॉक देने के लिए हो सकेंगे इस्तेमाल
नए 10 लाख हैंड ग्रेनेड मल्टीमोड हैंड ग्रेनेड होंगे। इनका इस्तेमाल बस शॉक करने के लिए और घातक हथियार दोनों तरह से किया जा सकेगा। हैंड ग्रेनेड में एक कवर होगा, जिसके साथ हैंडग्रेनेड जानलेवा बनेगा। यानी इसका इस्तेमाल दुश्मन के खात्मे के लिए किया जा सकेगा। बिना कवर के यह हैंड ग्रेनेड नॉनलीथल होगा यानी घातक नहीं होगा। इसका इस्तेमाल उस परिस्थिति में किया जा सकता है जब सैनिकों को किसी संदिग्ध जगह पर घुसना है और वहां मौजूद लोगों को बस एक गैरघातक ब्लास्ट से चौंकाना है। फौज में हर राइफलमैन अपने साथ दो ग्रेनेड रखता है। अभी तक जो ग्रेनेड इस्तेमाल हो रहे हैं उनमें काफी शिकायतें आ रही हैं।