नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों की पहचान कर पाना बेहद मुश्किल था। भीषण विस्फोट से जवानों से शव बुरी तरह से क्षत-विक्षत हो गए थे, ऐसे में उनकी शिनाख्त करना मुश्किल काम था। हालांकि आधार कार्ड, आईडी कार्ड और कुछ अन्य सामानों के जरिए उनकी पहचान हो पाई।
अधिकारियों ने बताया कि शहीदों की पहचान आधार कार्ड, बल के आईडी कार्ड, पैन कार्ड अथवा उनकी जेबों या बैगों में रखे छुट्टी के आवेदनों से की जा सकी। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कुछ शवों की शिनाख्त कलाइयों में बंधी घड़ियों अथवा उनके पर्स से हुई। ये सामान उनके सहयोगी ने पहचाने थे।
बताया जाता है कि तबाही का मंजर इतना खौफनाक था कि उसे देख स्थानीय निवासियों का खून जम गया। घटना में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक इतना शक्तिशाली था कि उसकी आवाज 10-12 किलोमीटर दूर, यहां तक कि पुलवामा से जुड़े श्रीनगर के कुछ इलाकों तक भी सुनाई दी। स्थानीय निवासियों ने बताया कि घटना में शहीद हुए जवानों के क्षत विक्षत शव जम्मू कश्मीर राजमार्ग में बिखर गए। कुछ शवों की हालत तो इतनी खराब है कि उनकी शिनाख्त में काफी वक्त भी लग सकता है।
विस्फोट की आवाज सुनाई देते ही लोग यहां वहां भागने लगे। घटनास्थल से 300 मीटर से भी कम दूरी पर स्थित लेथपुर बाजार के दुकानवाले अपनी अपनी दुकानों के शटर गिरा कर भाग गए। गौरतलब है कि केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के 2500 से अधिक कर्मी 78 वाहनों के काफिले में जा रहे थे। इनमें से अधिकतर अपनी छुट्टियां बिताने के बाद अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे। तभी एक आत्मघाती आतंकवादी ने विस्फोटक से भरी अपनी कार जवानों की बस से भिड़ा दी। इस बस में 39-44 के बीच जवान सवार थे।