नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सामूहिक धर्मांतरण पर कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह किसी भी धर्म के अनुसरण की आजादी का समर्थन करते हैं, लेकिन सामूहिक धर्मांतरण की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने दो टूक कहा कि कोई व्यक्तिगत तौर पर किसी धर्म को स्वीकार कर सकता है, लेकिन व्यापक पैमाने पर धर्म चिंता की बात है और इस पर बहस जरूरी है।
वह मंगलवार को ईसाई संगठन के कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, 'अगर कोई किसी धर्म विशेष को व्यक्तिगत तौर पर स्वीकार करता है तो इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, लेकिन व्यापक पैमाने पर धर्मांतरण किसी भी देश के लिए चिंता की बात है। अगर आप हिंन्दू हैं तो हिन्दू रहें, मुस्मिल हैं तो मुस्लिम रहें, ईसाई हैं तो ईसाई रहें। आप पूरी दुनिया को क्यों बदल देना चाहते हैं।'
देश के गृह मंत्री ने लोगों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश भी की कि बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार धार्मिक आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी को लेकर लोगों के मन में डर की भावना भरने की कोशिश की जा रही है। बकौल राजनाथ, 'कहा जाता है कि 'भाजपा आ गई, अब गड़बड़ होगा। ये होगा, वो होगा। लेकिन हम डर की भावना भरकर देश नहीं चलाना चाहते। हम विश्वास के साथ देश चलाना चाहते हैं। किसी के अंदर अलगाव की भावना नहीं होनी चाहिए।'
उन्होंने ऐसी बातों को बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को बदनाम करने की कोशिशें करार दिया और इस संबंध में एक घटना का भी जिक्र किया। गृह मंत्री ने कहा, 'हाल ही में चर्चों पर पत्थर फेंके गए। कुछ पादरी मेरे पास आए और सुरक्षा मांगी। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि इसमें शामिल सभी लोगों को दंडित किया जाएगा। मैंने उन्हें सुरक्षा का भरोसा भी दिलाया। लेकिन विधानसभा चुनावों से एक महीने पहले पथराव शुरू हुआ और इसके एक महीने बाद रुक गया। इस पर आप क्या कहेंगे। यह किसकी साजिश है?'
राष्ट्रीय ईसाई महासंघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राजनाथ ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी अपने जीवन में जाति, वर्ण और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया और न ही बीजेपी इसमें यकीन रखती है।