नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हुई नारेबाजी के मामले में अब जांच पूरी हो चुकी है। स्पेशल सेल ने इस मामले में जो चार्जशीट दायर की है उसमें जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 छात्रों के नाम शामिल हैं। इस संबंध में दिल्ली पुलिस कमिश्नर और अभियोग से जरूरी अनुमति ले ली गई है। कन्हैया के अलावा जो प्रमुख नाम इसमें शामिल हैं वो उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य हैं।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मुताबिक, गवाहों के बयानों के बाद देशद्रोह का ये मामला दर्ज किया गया है। वहीं उमर खालिद के खिलाफ धोखाधड़ी का भी मामला दर्ज किया गया है। इनके अलावा 36 लोग ऐसे थे, जिन्हें जांच के दायरे में रखा गया था। इनमें यूनिवर्सिटी के छात्र और सुरक्षाकर्मी शामिल थे, हालांकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। इस मामले में सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। जांच के मुताबिक, कन्हैया कुमार ने 9 फरवरी को उन प्रदर्शनकारियों की अगुवाई की थी जिसमें नारेबाजी हुई थी।
पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि इस कार्यक्रम के लिए किसी भी तरह की अनुमति की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। चार्जशीट के मुताबिक, जब इन्हें रोका गया और बताया गया कि इस तरह के किसी कार्यक्रम की आपके पास अनुमति नहीं है तो कन्हैया कुमार आगे आ गए और सुरक्षा अधिकारी से बहस करने लगे जिसके बाद भीड़ ने नारेबाजी शुरू कर दी।
जेएनयू में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर देश विरोधी नारे भी लगे थे जिसे लेकर काफी बवाल हुआ था। बाद में कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी पर जमकर विवाद हुआ और समूचे विपक्ष ने पुलिस की आलोचना करते हुए कहा था कि पुलिस सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। कई लोगों ने इसे बोलने की आजादी पर पाबंदी लगाने वाला कदम लगाया था।
इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें देश विरोधी नारे लगे थे। राजद्रोह के आरोपों पर इन्हें 2016 में गिरफ्तार किया गया था।