स्टार कास्ट: जॉन अब्राहम, डायना पेंटी, बोमन ईरानी आदि
निर्देशक: अभिषेक शर्मा
निर्माता: जॉन अब्राहम
मुंबई। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ऐतिहासिक घटनाओं पर ऐसी बहुत कम फिल्में बनी है जो आधिकारिक तौर पर इतिहास पर नज़र डालती हो। कुछ फिल्में बंटवारे को लेकर बनी तो कुछ फिल्में भेदभाव को लेकर बनी। जैसे कुछ गिनी-चुनी फ़िल्में 26/11 या ब्लैक फ्राइडे हैं जो सच्ची घटनाओं पर सिलसिलेवार नज़र डालती है, उसी कड़ी को आगे बढ़ाती हुई फिल्म है परमाणु।
भारत के परमाणु विस्फोट को लेकर एक के बाद एक घटनाक्रम का रिपोर्टिंग के अंदाज़ज में बयां करने वाली यह फिल्म सचमुच सराहनीय है। इन घटनाओं को पिरोने के लिए कुछ काल्पनिक किरदारों का सहारा ज़रूर लिया गया है लेकिन वह मात्र घटनाओं को एक सूत्र में पिरोने के लिए है।
1974 में जब भारत ने अपने पहला परमाणु परीक्षण किया था तो उसके बाद अमेरिका की ओर से कई आर्थिक और राजनीतिक पाबंदी हम पर लगी! इस बीच सोवियत संघ के विघटन के बाद हमें किसी भी बड़े देश का साथ नहीं मिला। पाकिस्तान के साथ चीन और कई मायनों में अमेरिका भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय बनता जा रहा था।
साथ ही साथ हम फिर से परमाणु परीक्षण ना कर पाए इसके लिए गुप्तचर व्यवस्थाओं का सहारा लिया जा रहा था। साथ ही अमेरिकी सैटेलाइट पोखरण रेंज पर लगातार आसमान से नज़र रखे हुए थे। ऐसे में भारत के लिए परमाणु परीक्षण करना असंभव था और सुरक्षा के मद्देनजर परमाणु परीक्षण करना जरूरी भी था।
इस परमाणु परीक्षण को किस तरह से अंज़ाम दिया गया? किन-किन विपरीत स्थितियों में पूरी दुनिया की निगाह रखती सेटेलाइट से नज़र बचाकर परमाणु परीक्षण किया गया यही कहानी है फिल्म परमाणु की। निर्देशक अभिषेक शर्मा ने इस जटिल विषय को बहुत ही आसानी से एक आम आदमी को समझ आए इस अंदाज में पेश किया है। जिसमें वह पूरी तरह से सफल हुए हैं।
अभिनय की बात की जाए तो जॉन अब्राहम, डायना पेंटी और बाकी के सारे कलाकारों ने उम्दा परफॉर्मेंस दिया है! एक मामले में जॉन अब्राहम की पीठ थपथपानी पड़ेगी कि निर्माता होते हुए भी उन्होंने फिल्म में नायक बनने की कोशिश नहीं की बल्कि, एक किरदार के तौर पर ही वह पूरी फिल्म में रहे। और यही इस फिल्म की खासियत भी रही क्योंकि, इतनी बड़ी योजना को कोई एक अकेला अंज़ाम नहीं दे सकता। टीमवर्क के क्या मायने हैं वो इस फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है। इसमें कोई हीरो और कोई हीरोइन नहीं है बल्कि एक टीम है जो साथ काम करती है।
परमाणु: द स्टोरी ऑफ़ पोखरण एक बेहतरीन फिल्म है। अगर आपने पोखरण परीक्षण के बारे में नहीं पढ़ा है या नहीं जाना है तो यह फिल्म आपके लिए जानकारियों के नए आयाम खोलती है। पूरी फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित होने के बावजूद भी मनोरंजन में कोई कमी नहीं! पूरी फिल्म आपको कुर्सी पर दम साधे बैठने पर मजबूर कर देती है और जब आप फिल्म देख कर बाहर निकलते हैं तो आप को भारतीय होने होने पर गर्व महसूस होता है!