इंदौर। हाई कोर्ट में सोमवार को हनी ट्रैप मामले में लगी याचिकाओं को लेकर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। इधर, कोर्ट ने एक याचिका पर एसआईटी से चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई के दौरान निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह की ओर से वरिष्ठ अभिभाषक अविनाश सिरपुरकर ने हाई कोर्ट में पक्ष रखा। इसमें मांग की गई कि मीडिया में जो खबरों का प्रकाशन हो रहा, उस पर रोक लगाई जाए।
याचिकाकर्ता दिग्विजय सिंह ने अपने एडवोकेट मनोहर दलाल के माध्यम से एसआईटी पर आरोप लगाते हुए पूरे मामले का अनुसंधान सीबीआई से कराने की मांग की है। हनी ट्रैप मामले को लेकर याचिकाकर्ता की ओर से वीडियो सीडी भी कोर्ट में पेश की गई। याचिकाकर्ता ने सोमवार को इसे रिकॉर्ड पर लेने की मांग की।
मामले में आरोपी मोनिका की ओर से इस आशय का आवेदन लगाया गया था कि इससे संबंधित ऑडियो-वीडियो वायरल होने पर रोक लगाई जाए व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। एसआईटी की ओर से शासन के वकील द्वारा माय होम और उसके संचालक आदि पर की गई कार्रवाई की जानकारी कोर्ट में दी गई। बताते हैं कि इस संबंध में लिफाफे में बंद एक रिपोर्ट पेश की गई है।
रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाने की मांग :- हनी ट्रैप मामले में एक वकील द्वारा इंटरविनर बनने का आवेदन लगाते हुए आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तथा रिटायर्ड जजों की जांच कमेटी बनाने की मांग की गई है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं, एक मामले में एसआईटी से चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया है। गौरतलब है कि ऑडियो-वीडियो वायरल होने के संबंध में एसआईटी की ओर से कुछ दिन पहले कोर्ट में कहा गया था कि उनके पास से कोई ऑडियो या वीडियो मैसेज लीक नहीं हो रहा है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे मैसेज चलते हैं, जिनमें कई तरह की काटछांट की होती है।
शाम तक सभी करते रहे इंतजार :- हाई कोर्ट में हनी ट्रैप मामले की सुनवाई सोमवार को तय की गई थी। सभी पक्षों के वकीलों ने दोपहर को सुनवाई के दौरान अपना-अपना पक्ष रखा। उन्हें उम्मीद थी कि शाम तक हाई कोर्ट का फैसला आ जाएगा, लेकिन एक को छोड़कर सभी मामलों को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया गया। माना जा रहा है कि हाई कोर्ट मंगलवार या बुधवार को इस संबंध में फैसला सुना सकती है।
एसआईटी का भी मामला पहुंचा कोर्ट :- हनी ट्रैप मामले की जांच को लेकर सरकार ने एसआईटी बनाई थी। इसमें बार-बार बदलाव किए जा रहे थे। इसे लेकर भी एक याचिका हाई कोर्ट में लगाई गई थी। इसमें सीनियर एडवोकेट द्वारा कहा गया था कि इतने गंभीर मामले में सरकार बार-बार एसआईटी में बदलाव क्यों कर रही है। उक्त प्रकरण की निष्पक्ष जांच करने के लिए हाई कोर्ट की मॉनिटरिंग में कमेटी बना दी जाए।