ग्वालियर। विश्वभर में नस्ल, धर्म, जाति के नाम मानवों द्वारा मानव का शोषण हो रहा है। हमारे देश में स्वतंत्रता के पश्चात्य धर्म एवं जाति के नाम पर भारतवासियों को विभाजित करने का प्रयास किया जा रहा है। हर जाति, धर्म, रंग के सभी केवल इंसान हैं और उन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित मानवाधिकारों को प्राप्त करने का अधिकार है। मानव अधिकार का मतलब ऐसे हक जो हमारे जीवन और मान-सम्मान से जुड़े हैं। यदि हमें हमारा हक दिलाने में सरकार हमारी मदद नहीं कर रही तो हम मानव अधिकार आयोग में शिकायत कर सकते हैं। दुनिया में मानवधिकार, कोई भी किसी मनुष्य से नहीं छीन सकता।
चाहे कोई भी कानून, धर्म, जेंडर, जाति हो लेकिन मानवाधिकार सबके लिए समान हैं। महिलाओं को भी अलग से एम्पावरमेंट की जरूरत नहीं है, मानवाधिकार के चलते वे भी हर चीज में बराबरी की हकदार हैं। यह जानकारी माधव लॉ कॉलेज के पूर्व एचओडी व मेम्बर ऑफ इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के बोर्ड मेम्बर प्रो. डॉ. आर के श्रोत्रिय ने दी। वे आईटीएम यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ लॉ द्वारा ह्यूमन राइट्स विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि किसी भी इंसान को जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार है. भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है, बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है।