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ढाई दशक से भाजपा के गढ़ इंदौर में इस बार कड़ी टक्कर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 16 2019 1:57PM | Updated Date: May 16 2019 1:58PM
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इंदौर। भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के नाम का पर्याय बनी मध्यप्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट से इस बार श्रीमती महाजन के चुनावी रण में न होने से यहां कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी और भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है। हालांकि इंदौर लोकसभा सीट के लिये भाजपा, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) एवं अन्य दलों सहित कुल 20 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। फिर भी यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही देखा जा रहा है।

पिछले आठ बार से इंदौर सांसद श्रीमती महाजन यहां 1989 में पहली बार निर्वाचित हुई थीं। स्थानीय तौर पर ताई (बड़ी बहन) के नाम से लोकप्रिय श्रीमती महाजन की 75 पार की उम्र जब इस बार उन्हें टिकट मिलने में बाधा लगने लगी, तब उन्होंने स्वयं ही चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इसके बाद भाजपा ने लंबी कवायद के बाद लालवानी को यहां से अपना उम्मीदवार घोषित किया। इंदौर में पारमार्थिक शैक्षणिक संस्थान के संचालक के तौर पर प्रतिष्ठित संघवी इसके पहले 1998 (12 वीं लोकसभा) में श्रीमती महाजन को कड़ी टक्कर देने में कामयाब रहे थे। तब वे महज 49 हजार 852 मतों से श्रीमती महाजन से परास्त हुए थे।

इस बार उनकी टक्कर इंदौर विकास प्राधिकरण के दो बार अध्यक्ष और इंदौर भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष शंकर लालवानी से है। लालवानी विभिन्न सामाजिक/सांस्कृतिक संगठनों के अगुआ के तौर पर इंदौर के जनमानस में पहचान रखते हैं। यहां मतदान तिथि 19 मई नजदीक आते-आते दोनों ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों (भाजपा और कांग्रेस) ने अपनी पूरी शक्ति झोंक दी है। यही वजह है कि भाजपा मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और नरेंद्र सिंह तोमर सहित लगभग एक दर्जन चुनाव प्रचारकों को मैदान में उतार चुकी है।

भाजपा रणनीतिक रूप से यहाँ नोटबन्दी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे अपने नीतिगत फैसलों का बचाव करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेदाग छवि को प्रचारित कर वोट जुटाने का प्रयास कर रही है। वर्ष 2009 (15 वीं लोकसभा) में कांग्रेस ने महज 11 हजार 480 मतों से इंदौर सीट गंवाई थी। जबकि वर्ष 2014 (16 वीं लोकसभा) में मोदी लहर के चलते श्रीमती महाजन ने अपने लोकसभा निर्वाचन की सबसे बड़ी रिकार्ड जीत 4 लाख 66 हजार 901 मतों से अपने नाम की थी। मौजूदा परिदृश्य में कांग्रेस पिछले साल हुये विधानसभा चुनाव में इंदौर लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 4 विधानसभा सीटों पर कब्जा कर आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रही है।

यही वजह है कि कांग्रेस के पक्ष में यहां प्रचार करने उतरे उनके स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री और भाजपा को नोटबन्दी, जीएसटी, स्मार्ट सिटी, रोजगार, किसानों के मुद्दों पर घेर रहे हैं। कांग्रेस ने अब तक यहां प्रमुख रूप से प्रियंका गांधी, नवजोत सिंह सिद्धू, भूपेश बघेल जैसे स्टार प्रचारकों को प्रचार-प्रसार के लिये मैदान में उतारा है। भाजपा की ओर से यहां स्थानीय विधायक रमेश मेंदोला ने बतौर लोकसभा संयोजक कमान संभाल रखी है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, श्रीमती महाजन भाजपा प्रत्याशी लालवानी के समर्थन में जनसंपर्क कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस की ओर से रणनीतिक तौर पर यहाँ कमान मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, तुलसीराम सिलावट और जीतू पटवारी के हाथों है। मुख्यमंत्री कमलनाथ भी व्यापारी-व्यवसाई और उद्योगपति वर्ग से बैठकें कर जनसमर्थन की अपील कर रहे हैं। मध्य भारत में आर्थिक राजधानी के रूप में स्थापित इंदौर लोकसभा क्षेत्र मध्य में शहरी और इसके सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीण आबादी बसती है।

शैक्षणिक, व्यापार-व्यवसाय, उद्योगों के साथ यहां बड़ी संख्या में लोग नौकरीपेशा हैं। दूसरा यहां एक बड़े जनसमूह का जनजीवन कृषि पर आधारित है। बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के कब्जे में इंदौर ग्रामीण की तीनों और शहरी क्षेत्रों की एक विधानसभा सीट गई थी। भाजपा ने इंदौर शहर की 4 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। 

 
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