सर्दियों में आहार -विहार का पूरा ध्यान रखना चाहिए। आहार -विहार के मायने यह कि खान-पान और रहन-सहन। जैसे-जैसे ठंड बढ़े, वैसे-वैसे खान-पान में परिवर्तन करना शुरू कर देना चाहिए। बाहरी तापमान से तालमेल बैठाने के लिए इस मौसम में शरीर का भीतरी तंत्र ज्यादा मुस्तैदी से काम करने लगता है।
बाहर पड़ रही शीत का संपर्क हमारी त्वचा से बना रहता है, तो शरीर के भीतर मौजूद जठराग्नि प्रबल हो जाती है और इस तरह सर्दियां शरीर की पाचन-शक्ति में इजाफा कर देती हैं। बाकी मौसमों की तुलना में हमारा शरीर खाए-पिए को अच्छे से ग्रहण कर पाता है।
शरीर चलायमान रखें...
सर्दी के मौसम में आलस से बचना चाहिए। आलस वात प्रकृति के लोगों का सबसे बड़ा दुश्मन है। गर्मी के ठीक विपरीत सर्दी में दिन में सोने की आदत नहीं बनाना चाहिए, अन्यथा शरीर में भारीपन, सर्दी-जुकाम आदि का आक्रमण आसानी से हो सकता है। शीतकाल में रातें लंबी होती हैं, यानी प्रकृति ही हमें लंबे विश्राम का वक्त देती है। विश्राम के इस समय को कम नहीं करना चाहिए।
देर रात भोजन न करें...
देर रात में भोजन न करें और भोजन कर लें, तो ज्यादा देर तक जगें नहीं। ठंड की शुरुआत होने पर खाने में घी, दूध, मलाई, उड़द की दाल, तिल जैसी चिकनाई वाली और पौष्टिक चीजों का सेवन करना शुरू कर दें।
भोजन से दस-पंद्रह मिनट पहले करीब दस ग्राम अदरक के छोटे टुकड़ों पर सेंधा नमक छिड़ककर चबा-चबा कर खाएं। इससे भूख खुलती है, तेज ठंड से बचाव होता है और प्रदूषण का असर भी शरीर पर कम होता है।
सर्दी में ज्यादा समय तक खाली पेट न रहें। वैसे भी भारतीय परिस्थितियों में सर्दी के दिनों में शरीर को आमतौर पर ज्यादा कैलरी की जरूरत पड़ती है। गुड़, मूंगफली और तिल की पट्टी व सूखे मेवे इस मौसम के लिए भरपूर ऊर्जा के स्रोत हैं।
याद रखें, हाजमा दुरुस्त हो तो ही पौष्टिक और गरिष्ठ चीजें खाएं, वरना पहले हाजमा ठीक करें। प्राकृतिक चिकित्सा के तरीके से एनिमा लिया जाए, तो पाचनशक्ति को मदद मिलती है।
आधा चम्मच छोटी हरड़ का चूर्ण रात में गुनगुने पानी से कुछ दिनों तक लेने से कब्ज खत्म होता है और पाचन को बल मिलता है। सवेरे गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर पीने से भी पाचन ठीक रहता है।
सर्दी के खतरों से बचें
कम तापमान की स्थिति में अगर सावधानी न रखी जाए तो सर्दी, जुकाम, खांसी, गले में खराश का संक्रमण आसानी से हो जाता है।
सवेरे-शाम तुलसी, अदरक और लौंग का काढ़ा बनाकर पिएं। अधिक उपयोगी बनाने के लिए मुलहठी और दालचीनी का चूर्ण भी मिला सकते हैं।
दिन में दो-तीन बार गर्म पानी में सेंधा नमक मिलाकर गरारे करें। खांसी के अलावा गले की खराश, इन्फेक्शन आदि में भी राहत मिलेगी।
लहसुन की पांच कलियों को घी में भून कर दिन में दो बार खाने से भी आराम मिलता है। लहसुन में मौजूद एलिसिन रसायन एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीवायरल प्रभाव रखता है।
तुलसी के पंद्रह-बीस पत्ते पीसकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं और दिन में दो बार खाली पेट चाट लें। यह सर्दी की तकलीफों से रक्षा करता है। रोग प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है।
गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिला कर पीने से जल्दी राहत मिलती है।
हृदयाघात
डॉक्टरों के मुताबिक इस मौसम में एंजाइना और दिल का दौरा पड़ने की आशंका 50% तक बढ़ जाती है। तापमान में बदलाव के कारण दिल की धमनियों में सिकुड़न आ जाती है। आॅक्सीजन की आपूर्ति और खून के बहाव पर दबाव पड़ने लगता है। मौसमी अवसाद और विटामिन-डी की कमी के कारण भी रक्तचाप बढ़ने लगता है। डॉक्टर की बताई दवाएं लेना न छोड़ें।
फाइबरयुक्त भोजन अधिक लें।
हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज व सूखे मेवे लें। पानी खूब पिएं। पाचन ठीक रहता है। मौसमी अवसाद से बचते हैं।
खाली पेट लौकी का जूस पिएं। इसमें तुलसी और पुदीने के चार-छह पत्ते मिला लिए जाएं, तो और अच्छा है। धमनियों के अवरोध में भी फायदा मिलता है।
विटामिन-डी का स्तर बनाए रखने के लिए सुबह की गुनगुनी धूप सेकें।
ठंडी हवाओं के साथ सर्दी-जुकाम और गले में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया दमा रोगी की मुसीबत और बढ़ा देते हैं।
कहीं भी सर्द-गर्म वातावरण में अचानक प्रवेश करने से बचना चाहिए।
सिर व कान ढक कर ही बाहर निकलें।
पानी गुनगुना करके पिएं।
कफ बाहर निकालने वाले और आयरन जैसे तत्वों से भरपूर चीजें खाएं। खजूर खाना फायदेमंद है।
इन्हेलर तथा डॉक्टर की सुझाई व दवाइयां साथ रखें।