ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का रोग है। जिसमें बोन में कैल्शियम घटने से हड्डियों के निर्बल होने औरहल्के दबाव से फै्रक्चर होने जैसे लक्षण सामने आते हैं। आमतौर पर हड्डियों की कमजोरी का एक बड़ा कारण कैल्शियम की कमी माना जाता था। लेकिन 80 फीसदी से अधिक हिंदुस्तानियों में विटामिन-डी की कमी पाई गई है। इसके मुद्दे युवाओं में ज्यादा हैं। इस रोग की सामान्य स्थिति में दवाओं से उपचार करते हैं लेकिन कमर में फ्रैक्चर के दर्द को बर्दाश्त न कर पाने के मुद्दे में काइफोप्लास्टी सर्जरी करते हैं। इसमें एक बैलून के जरिए बोन सीमेंट डालकर क्षतिग्रस्त व फ्रैक्चर वाली हड्डी की समस्या को समाप्त करते हैं।
शारीरिक संरचना और आयु अनुसार हड्डियों का विकास 40 साल की आयु के बाद बंद हो जाता है जिससे ये निर्बल होने लगती हैं। इस दौरान इस रोग की आरंभ होती है। स्त्रियों में 50 साल की आयुयानी मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी व पुरुषों में 60-70 साल की आयु के दौरान हड्डियों में कैल्शियम का घटता है। इस हार्मोन से हड्डियां मजबूत होती हैं। पुरुषों की बजाय स्त्रियों में रोग की संभावना दोगुनी है।
कारण
समय पूर्व मेनोपॉज - इस रोग के लिए विटामिन-डी, कैल्शियम और प्रोटीन की कमी, बढ़ती उम्र, फिजिकली एक्टिव न होना, आनुवांशिकता, धूम्रपान, डायबिटीज, थायरॉइड व स्त्रियों में जल्दी मेनोपॉज जिम्मेदार हैं।
इलाज
दवाएं व व्यायाम- मेडिकल ट्रीटमेंट के तहत कैल्शियम-विटामिन-डी की दवाएं, इंजेक्शन और सर्जरी करते हैं। नॉन-मेडिकल में हड्डियों को मजबूत करने वाले व्यायाम और कैल्शियम और प्रोटीन डाइट लेने की सलाह देते हैं।
धीमी गति से करता हमला - यह रोग धीरे-धीरे हड्डियों को जकड़ता है। कमर के निचले हिस्से और गर्दन में दर्द या सर्दियों में दर्द का बढ़ना व शारीरिक सक्रियता में कमी दिखे तो अलगंभीर स्थिति में हड्डियों के बोन मास व टिश्यू का क्षरण होने लगता है जिससे कलाई, रीढ़ और पैरों की हड्डियों में फ्रैक्चर बढ़ते हैं।