आज के दौर में हर किसी अस्पताल में हर एक मरीज को छोड़कर दूसरा पथरी की समस्या का मरीज है। इसका कारण बहुत हैं। लेकिन अगर आप इस भयंकर बीमारी से बचना चाहते हैं तो कुलथी की दाल को अपने भोजन में जोड़ें। कुलथी ज्यादातर उत्तराखंड राज्य में प्रचलित है। यह दाल पथरी को खत्म करने का एक कारगर औषधि है। आयुर्वेद में गुणधर्म के अनुसार कुलथी में विटामिन ए पाया जाता। यह शरीर में विटामिन ए की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मददगार है। बाजार में यह किसी भी किराने की दुकान में आसानी से मिल जाती है। यदि आपको गुर्दे की पथरी होने की अधिक संभावना है, तो कुलथी आपकी सबसे अच्छी दोस्त है। रोजाना सेवन से गुर्दे की पथरी बनने की संभावना को कम करने में मदद मिलती है। अपने रोजमर्रा के मेनू में कुलथी को शामिल करने से गुर्दे की छोटी पथरी को खत्म करने में मदद मिलेगी। गुर्दे की पथरी कैल्शियम ऑक्सालेट का एक रूप है। यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है, कुलथी कैल्शियम ऑक्सालेट के निर्माण को रोकती है।
कुलथी के दाल सेवन करने से पथरी टूट कर छोटी होती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर पेशाब के रास्ते से बाहर आ जाती है।
कुल्थी का काढ़ा बनाकर उसमें काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से गले की समस्या दूर होती है।
कुलथी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से वात की समस्या दूर होती है।
कुलथी को रात भर पानी में भिगो कर रखना पड़ता है। सुबह इसे साफ पानी से धो कर कुकर में पका लें, जिससे इसकी सब्जी या सूप बना सके। अगर आप इसे स्प्राउट के रूप में खाएं तो इसकी पोषण छमता ज्यादा बढ जाएगी।
कुलथी अस्थमा, बुखार, सदी-खांसी या जकड़न से निजात दिलाती है। थोड़ी सी कुलथी को पानी में उबालें, इस पानी से बुखार को नियत्रिंत करने में मदद मिलेगी।
यह शरीर की चर्बी को घटाती है और कफ जो कि मोटापे की जड़ है उसे दूर करती है। इसमें ढेर सारा प्रोटीन और फाइबर होता है, जिससे आसान से वजन कम होता है।
कुलथी में कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन और अमीना एसिड होते हैं, जो कि स्पर्म बढ़ाने के लिये योगदान करते हैं। कुलथी सीमेन से गंदगी को बाहर भी निकाली है।