हालांकि पिछले साल से रोजा कुछ मिनटो कम ही होगा लेकिन 15 घंटे रोजा रखना बढ़ती गर्मी को देखकर परेशान करने वाला है। सात मई से पहले रोजे की शुरुआत हो गई। पहले रोजे की अवधि पूरे माह में सबसे अधिक होगी। ये करीब 14 घंटे 53 मिनट का होगा, हालांकि कुछ मिनटों के अंतर ही आने वाले रोजे में भी होंगे।
पिछले साल रोजे 14 मिनट ज्यादा थे, लेकिन हर साल गर्मी का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में 15 घंटे रोजा रखना बहुत ही कठिन होगा। इसलिए जरूरी होगा कि अपने हेल्थ पर बहुत ध्यान दिया जाए और इसके लिए जरूरी होगा न्यूट्रीएंट्स से भरा और कंप्लीट डाइट का होना।
सहरी का वक्त भोर के 3 बजकर 57 मिनट है लेकिन कुछ जगहों पर सहरी का वक्त भोर के 4 बज कर 07 बजे भी है। वहीं इफ्तार का वक्त शाम के 7 बजे है। ऐसे में भरी गर्मी और उमस में रोजा रखना बहुत ही चैलेंचिंग होने वाला है। लेकिन अपनी डाइट और रुटीन हैबिट में सुधार से इस रोजे को आसान बनाया जा सकता है।
जुमा अलविदा का रोजा शुक्रवार 31 मई को होगा। इस दिन सहरी का वक्त भोर के 3 बज कर 51 मिनट और इफ्तार का वक्त शाम 7 बज कर 11 मिनट पर होगा। ये दिल्ली का समय है। स्थान अनुसार समय में थोड़ा परिवर्तन हो सकता है। हालांकि इसमें कुछ मिनटों का ही फर्क होगा।
रमजान का पका महीना तीन अशरे में बंटा होता है।
तीस दिन के इस महीने में तीन अशरे दस-दस दिन के होते हैं। पहले दस रोजे तक पहला अशरा, उसके बाद के दस दिन के लिए दूसरा अशरा और अंतिम दस दिन के लिए तीसरा अशरा होता है। रमजान में रोजा रखने के पीछे कारण खुद को सांसारिक सुखों से दूर रखे की तपस्या होती है। भूख,प्यास और सोहबत से खुद को रोक कर दिखाना बेहद पाक माना जाता है और यही जन्नत का रास्ता रोजेदारों के लिए खोलता है। इस पूरे माह रोजेदार सिर्फ खुदा की इबादत ही करते हैं।
रोजे के वक्त डाइट ऐसी हो जो सुपाच्य हो और कम प्यास लगाने वाली हो। इसके लिए तरबूज, खीरा, ककड़ी सहरी में जरूर खाएं। इफ्तार में एकाएक बहुत सा पानी न पीएं बल्कि धीरे-धीरे रुक-रुक कर पानी पींए। चाहें तो नींबू-नमक और चीनी का पानी पीएं ताकि ये डिहाइड्रेशन से आपको बचाए रखें। इफ्तार में खजूर खाना बहुत अच्छा होगा। इसके बाद आप प्रोटीन रिच डाइट लें लेकिन तले या मसालेदार की जगह भूने हुए लें।