भारतीय वैज्ञानिकों ने स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का पता लगाने का आसान तरीका खोज निकाला है जो पारंपरिक तरीकों से सस्ता, सुगम और सटीक है। आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने लार से स्तन कैंसर और गर्भाशय के कैंसर का पता लगाने की तकनीक विकसित की है। इसमें लार में मौजूद प्रोटीनों की जाँच कर यह पता लगाया जाता है कि कोई मरीज इन दोनों बीमारियों से पीड़ति है या नहीं। पारंपरिक तौर पर एक्सरे के जरिये (मेमोग्राफी) खून के नमूने की कलर-फ्लो डॉप्लर इमेजनिंग और ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड के माध्यम से इनका पता लगाया जाता है।
आईआईटी रुड़की में इस शोध का नेतृत्व करने वाले जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर किरण अम्बतिपुडी ने नयी तकनीक के बारे में कहा, ‘‘स्तन कैंसर तथा गर्भाशय के कैंसर वाली कोशिकाओं का वितरण एक समान नहीं होता। इसलिए पारंपरिक तरीकों से इनका आरंभिक चरण में पता लगाना कठिन होता है। साथ ही पारंपरिक तरीके महँगे हैं तथा उनमें मरीज पर विकिरण के कुप्रभाव का खतरा रहता है।
हमारा प्रयास लार का इस्तेमाल कर साधारण नमूने का इस्तेमाल था जिसमें विशेष प्रकार के प्रोटीन का इस्तेमाल संकेतक के रूप में हो सके।जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनके लार में मौजूद प्रोटीन से यह भी पता लगाया जा सकता है कि उन्हें इलाज का फायदा होगा या नहीं।’’ दुनिया भर में कैंसर के एक तिहाई मामले स्तर या गर्भाशय के कैंसर के हैं।
साथ ही कैंसर से होने वाली मौतों में 20 प्रतिशत इन्हीं दोनों से होती है। प्रो. अम्बतिपुडी की टीम ने कुछ स्वस्थ लोगों और कुछ स्तन तथा गर्भाशय कैंसर के मरीजों के लार में मौजूद प्रोटीनों का अध्ययन किया। इन लोगों को चार समूहों में बाँटा गया था। इनके लार में कुल 646 प्रकार के प्रोटीन पाये गये। इनमें 409 प्रकार के प्रोटीन सभी समूहों के लोगों के लार में थे। वहीं 57 ऐसे प्रोटीन थे, जो कम से कम एक समूह में थे लेकिन सभी समूहों में नहीं थे।