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Health

कॉफी ,चाय के बारे में सोचने भर से ही आ सकती है ताजगी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 31 2019 11:58AM | Updated Date: Mar 31 2019 11:58AM
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लंदन। वैज्ञानिकों ने ताजा शोध में पता लगाया है कि लोगों को सुबह की नींद से जगाने में विश्व में दूसरे स्थान पर रहने वाली चाय और चौथे स्थान पर काबिज कॉफी के बारे में सोचने मात्र से भी तरोताजा महसूस किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के सह प्रोफेसर सैम मैगलियो के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस संबंध में अनुसंधान किया है।

प्रोफेसर मैगलियो ने ‘कॉन्शसनेस एंड कॉग्निशन पत्रिका में प्रकाशित अपने शोधपत्र में कहा है कि सुबह की नींद से उठाकर फूर्ती भरने वाली कॉफी और चाय में मनोवैज्ञानिक गुण भी हैं जिसके बारे में  लोगों को शायद ही मालूम है। दोनों केवल पीने से ही नहीं ताजगी भर सकतीं बल्कि उससे जुड़ी चीजों मसलन, मग, प्यालों ,चाय के ब्रांड ,एक्सप्रेसो , केपिचिनो ,लैटे आदि कॉफी का ‘लोगो’ देखने और चाय अथवा कॉफी के बारे में सोचने मात्र से भी तारोताजा हुआ जा सकता है।

उन्होंने कहा,‘‘हमने अपने शोध में पाया कि दोनों पेय पदार्थों से जुड़ी सांकेतिक चीजों को देखने और उनके बारे में सोचने मात्र से ताजा महसूस किया जा सकता है। इसके लिए अमेरिका,कनाडा और यूरोपीय देशों के साथ-साथ चीन,जापान और कोरियाई देशों के करीब 342 लोगों के चार समूहों पर शोध किया गया।’’

प्रोफेसर मैगलिगो ने कहा कि इस दौरान लोगों को चाय अथवा कॉफी के काल्पनिक ब्रांड के बारे मॉक मार्केटिंग समेत मानिसक रूप से किये जाने कई तरह के कार्यक्रम में शामिल किया गया। इस दौरान बेहद चौंकाने वाला नतीजा सामने आया। जिन लोगों को इस तरह के कार्यक्रमों में शामिल किया गया उनके ह्दय की गति और तरोताजा महसूस करने संबंधी मानसिक स्थिति में बदलाव देखा गया।

चाय और कॉफी से संबंधित सोच और सांकेतिक चीजों में भी मनुष्यों के दिमाग पर अलग -अलग प्रभाव देखा गया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को कॉफी अथवा चाय से संबंधित संकेतों को देखने या उनके बारे सोचने के  लिए कहा गया उन्होंने वैसी ही ताजगी महसूस की जैसी इन्हें पीने के बाद होती है लेकिन उनमें फूर्ती महसूस करने के स्तर में अंतर था।

इसमें चाय से अधिक कॉफी का असर देखा गया। प्रोफेसर मैगलियो ने कहा,‘‘जिन लोगों को कॉफी से संबंधित संकेतों से रूबरू कराया गया ,उनके सोचने के तरीकों में अधिक गहरायी और स्पष्टता पायी गयी और यहां तक कि उन लोगों ने यह भी महसूस किया कि चाय का एक प्याला देखने की तुलना में कॉफी का प्याला देखने से अधित ताजगी का एहसास होता है।’’  

 
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