ऑलिव ऑयल की गिनती स्वास्थ्यवर्धक तेलों में होती है और यही कारण है कि आजकल लोग इसका प्रयोग काफी अधिक मात्रा में करने लगे हैं। जहां एक ओर जैतून का तेल कई तरह के लाभ पहुंचाता है, वहीं इससे कुछ नुकसान भी होते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
जैतून का तेल कई बार एलर्जी का कारण बनता है। खासतौर से, इसके कारण डर्मटाइटिस, एक्जिमा और श्वसन एलर्जी हो सकती है। इसलिए जिन लोगों को हमेशा एलर्जी का खतरा रहता
है, उन्हें इससे दूरी ही बनाकर रखनी चाहिए। ऑयली स्किन के लोगों के लिए भी इसका प्रयोग अच्छा नहीं माना जाता है। दरअसल, अनियंत्रित सीबम स्त्राव के कारण त्वचा तैलीय होती है और जब ऐसी स्किन पर जैतून के तेल का प्रयोग होता है तो इससे स्किन पर जलन, रैशेज व रेडनेस की समस्या पैदा होती है।
ऑलिव ऑयल का सेवन ब्लड शुगर को कम करता है। कई बार तो यह सामान्य स्तर से भी कम हो सकता है। दरअसल, जैतून का तेल इंसुलिन रेसिसटेंस को बढ़ाता है, जिसके कारण यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करता है। आवश्यकता से अधिक ऑलिव ऑयल का सेवन पित्ताशय को अवरूद्ध कर सकता है या फिर पित्त की पथरी की वजह बन सकता है। इसलिए ऑलिव ऑयल का लाभ तभी तक है, जब तक आप इसे सीमित मात्रा में प्रयोग करते हैं।
कई बार ऑलिव ऑयल पाचन विकारों का भी कारण बनता है। ऐसा इसमें मौजूद हाई फैट कंटेंट के कारण होता है। दरअसल, जब जैतून के तेल का अधिक सेवन किया जाता है तो शरीर को इसे पचाने में परेशानी होती है। परिणामस्वरूप कभी−कभी व्यक्ति को दस्त की शिकायत हो सकती है।