-वीना नागपाल
जायरा ने जब इस तरह से माफी मांगी तब ऐसा लगा जैसे सभी लड़कियों ने अपना सिर झुका लिया है और उनका आत्मविश्वास डोल गया है। पर, जिस तरह जायरा के समर्थन में लगभग एक साथ कई आवाजें उठ खड़ी हुई हैं उससे लगा कि लड़कियों को सिर झुकाने की कोई जरूरत नहीं है। सब उनके साथ, उनके समर्थन में खड़े हैं और उसे एक स्वर में कह रहे हैं कि घबराना नहीं, न रुक जाना, बढ़ते ही जाना।
जायरा दंगल फिल्म में कुश्ती लड़ने वाली वह किशोरी है जिसके दाव-पेंच देखकर पहलवान भी दांतों तले अंगुली दबा रहे थे। पिछले दिनों उसे ‘कॉफी विद करण’ में आमिर खान और उसकी फिल्म में बड़ी बहन बनी (उसने भी कुश्ती के दांव-पेंच, पटखनी आदि दिखाई थी) के साथ देखा। जायरा अपनी सफलता व लोकप्रियता से बहुत खुश थी। वह इसी खुशी में भरकर चहक रही था, खिलखिला रही थी और मस्ती भरी आवाज में फिल्म के दौरान हुए अनुभवों को करण द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में बता रही थीं। जितना उसे फिल्म में देखना दिलचस्प था उससे कहीं अधिक उसे इस तरह आनंदित होकर चहकते देखना बहुत अच्छा लग रहा था।
हम उस सारे विस्तार में तो नहीं जाना चाहते कि जिसके सतही कारणों से उसे माफी मांगनी पड़ी पर, यह जरूर बताना चाहते हैं कि उसे कट्टरवादी और रूढ़िवादी ऐसी प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा कि उसे इस कारण गहरे भय व आतंक का अनुभव हुआ। इसी डर के कारण उसने माफी मांग ली जैसे कि उसे अपने आनंद व खुशी को उन प्रतिक्रियाओं पर कुर्बान कर दिया। जब से फिल्म में जायरा को देखा था और कॉफी विद कारण में उसका पक्षी जैसा कलरव सुना था पता नहीं तब से मन के कोने से एक शंका सी अपना सिर उठा रही थी कि कहीं! जायरा के आत्मविश्वास, उसकी सफलता और उसकी खुशी को नजर न लग जाए? ‘‘पर, वही हुआ। यह प्रतिक्रियावादी कट्र ताकतें घात लगाए बैठी रहती हैं और जहां उन्हें जरा सा भी मौका मिलता है यह अपनी कुरूपता भरी संकीर्णता दिखाने लगती हैं।
इस संदर्भ में मिस्त्र की स्क्वॉश गेम की युवा खिलाड़ी का ध्यान आ रहा है जो इस बार महिला विश्व चैंपियन बनी है। पता नहीं आपको पता है या नहीं स्क्वॉश बहुत दमखम वाला गेम होता है। पूरी ऊर्जा व शक्ति से दीवार पर एक अच्छे भारी रैकेट से गेंद को मारना होता है और कोशिश होती है कि दूसरा प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी उस शॉट को खेल न सके। वह मिस्त्र की युवती बहुत फूर्ति व तेजी से गेम खेल रही थी। मैं और मेरी नातिन उसकी चपलता पर मुग्ध थे। चंूकि मेरी नातिन भी स्क्वॉश खेलती है तो वह उसके हर रिटर्न शॉट पर वाह! वाह! बोल रही थी। मुझे भी गेम देखने में आनंद आ रहा था। यह आनंद इसलिए भी और बढ़ रहा था कि मिस्त्र का प्रमुख धर्म इस्लाम है, पर, वहां लड़कियां व युवतियां तरह-तरह के गेम्स खेलती हैं। खेलों में वह खुल कर भाग लेती हैं। उस मिस्त्री युवती का दर्शक दीर्घा में बैठे उसका भाई व उसके माता-पिता निरतंर उत्साह बढ़ा रहे थे। जब वह यूरोपीय युवती को पराजित कर चैंपियन स्क्वॉश की विश्व महिला चैंपियन बनी तो उसके माता-पिता (शायद अन्य परिचित भी उपस्थित थे) ने जिस तरह उसे गले लगाया और वह-झूमे वह दृश्य भावुक करने वाला था। जायरा! तुम स्वयं को अकेली मत समझो। कौन है जो तुम्हारे साथ नहीं है? फिर एरीना में आओ और सबको चित्त कर दो।
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