-वीना नागपाल
जापान के ठेठ पूर्व में होने कारण वह उगते सूर्य का देश कहलाता है परंतु पता नहीं क्या हुआ है उस उगते सूर्य की किरणों ने जैसे वहां प्रेम, मुहब्बत व इश्क के जज्बे को सुख दिया है। सूर्यास्त में वह प्रेम कहीं छिप रहा है। जापान सरकार इससे बहुत चिंतित हो रही है और युवाओं को अधिक से अधिक ऐसे मौके देना चाहते हंै कि उनमें परस्पर प्रेम के अंकुर फूटें वह आत्मीयता से एक-दूसरे से मिलें और फिर अन्तत: विवाह कर लें। पर, जापानी युवक-युवतियों ऐसा नहीं कर रहे हैं।
कई युवक व युवतियां विवाह नहीं कर रहे और अपना जीवन अकेले बिता रहे हैं। एक सर्वेक्षण हुआ तो पता चला कि एक तिहाई युवकों को कभी प्रेम नहीं हुआ और वह रिलेशनशिप में भी नहीं रहे। उनके साथ हालांकि उनके सहकर्मियों के रूप में युवतियों की संख्या भी अच्छी खासी है पर उनमें नजदीकियां नहीं बढ़ी। जापान के वर्क कल्चर (कार्य संस्कृति) की बहुत प्रशंसा की जाती है। विश्व भर में जापानियों की अपने कार्य के प्रति लगन और सर्मपण के गुण गाए जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि जापानी युवा बहुत शीघ्रता से अपने कार्य से जुड़ जाते हैं और कई-कई घंटे काम करते हैं। कहीं ऐसा तो नहीं काम में इतने व्यस्त होने व डूबे रहने के कारण उनके मन में प्रेम व मुहब्बत के भावों का स्त्रोत ही सूख गया हो, उसमें कोई तरंगे ही न उठती हों। सर्वेक्षण में जापानी युवाओं के प्रेम न करने और विवाह करने में रुचि न दिखाने के कारण तो नहीं बताए गए पर यह जरूर बार-बार कहा गया कि यह स्थिति चिंतनीय है। यदि युवा परस्पर विवाह नहीं करेंगे तथा वैवाहिक संबंध नहीं बनाएंगे तो परिवार कैसे अस्तित्व में आएगा। संतान का जन्म नहीं हो पाएगा आदि-आदि कई ऐसी संभावनाएं हैं जो जापान सरकार को चिंता में डाल रही हैं। हालात यह है कि जापान में खिलखिलाते, शरारतें करते, उछलते-कूदते बच्चों की संख्या में कमी आ रही है और विश्व में जापान सबसे बूढे देशों में गिना जाता है।
जापान सरकार ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए देश में युवाओं के लिए प्रेमी या जीवनसाथी तलाशने का जिम्मा उठाया है। सरकार कई शहरों में ऐसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जिसमें युवाओं के लिए परस्पर मिलकर आनंद उठाने और मौज-मस्ती करने के भरपूर अवसर मौजूद हैं। वह एक-दूसरे के नजदीक आएं और उन्हें एक-दूसरे के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो। सरकार युवाओं में परस्पर प्रेम उपजाने के लिए ही प्रतिवर्ष 30 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च कर रही है पर, फिर भी उसके इस प्रयास को पर्याप्त प्रतिसाद नहीं मिल रहा है। ओटारी शहर के मेयर हिसाशी माटसुमोटो ने कहा- हम इसलिए खर्च कर रहे हैं कि जिससे कि युवा प्यार, शादी और बच्चों की तरफ आकर्षित हों। हम उन्हें एक रोमांटिक वातावरण देना चाहते हैं, जिससे कि वह रिलेशनशिप में आएं।
जापान के युवक-युवतियों की बात का संदर्भ देना और जिक्र करना इसलिए उचित लगा कि क्योंकि आजकल हमारे समाज में भी युवक-युवतियां व्यवसाय में बहुत व्यस्त हो गए हैं। वह भी यह सोचने लगे हैं कि अभी-अभी तो आर्थिक व्यवस्था सुनिश्चित हुई है, कई मित्र बने हैं उनके साथ मौज-मस्ती कर रहे हैं मन मर्जी से जीवन जी रहे हैं - शादी की जल्दी ही क्या है? वक्त बीतता जाता है और विवाह की उम्र भी निकल जाती है। महानगरों और यहां तक कि नगरों में भी अच्छी खासी बढ़ी हुई उम्र के कई युवा एकाकी रह रहे हैं। सामाजिक व्यवस्था के लिए यह स्थिति ठीक नहीं है। समाज में इससे कई अव्यवस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। लगता है कि वही बात ठीक थी जब दादी-नानी बार-बार विवाह के लिए दबाव बनाती थीं और कहती थीं कि- क्या बूढ़ा होकर शादी करेगा? ‘‘युवाओं को यह बात बहुत अखरती थी पर, लगता है कि जापान की स्थिति देखते हुए दादी-नानी की बातों का दबाव पुन: बढ़ाना पड़ेगा।
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