रफी मोहम्मद शेख-
इंदौर। एडमिशन, नियुक्ति से लेकर निर्माण कार्य तक लगातार सुर्खियों में रहने वाला गवर्नमेंट लॉ कॉलेज ने फिर नया काम कर दिखाया है। हाल ही में उसे नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिएशन काउंसिल (नेक) द्वारा बी प्लस ग्रेड मिली है। इसे पाने के लिए उसने चार प्रोफेसर्स की नियुक्ति बाले-बाले कर दी। यहां तक कि पिछले साल जनभागीदारी से की गई नियुक्तियों की वेटिंग लिस्ट को धता बताकर मनमर्जी से नियुक्तियां तक कर दी। अब प्रिंसिपल की सीएम हेल्पलाइन से लेकर अतिरिक्त संचालक तक से शिकायत की गई है। साथ ही मामला कोर्ट ले जाने की तैयारी की जा रही है। पिछले माह गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में नेक टीम का निरीक्षण हुआ था। जानकारी के अनुसार निरीक्षण के तीन दिन पहले कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. शोभा सुद्रास ने चार प्रोफेसर्स को जनभागीदारी समिति के माध्यम से नियुक्त कर लिया। इन्हें नेक कमेटी के सामने प्रस्तुत कर अच्छी ग्रेड भी प्राप्त कर ली।
मेरिट लिस्ट ही नहीं बनी
गवर्नमेंट कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी या जनभागीदारी समिति के माध्यम से किसी भी नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए। इसके बाद आए गए आवेदनों की अर्हता और योग्यताओं के हिसाब से मेरिट लिस्ट बनाई जाती है और उसके बाद इंटरव्यू के माध्यम से नियुक्तियां की जाती है। गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में नियुक्ति प्रक्रिया को दरकिनार कर दिया गया। न तो विज्ञापन जारी हुआ और न ही मेरिट लिस्ट या इंटरव्यू की प्रक्रिया अपनाई गई। अपनी फैकल्टी को पूरा बताने के लिए नेक की टीम के सामने इन्हें प्रस्तुत कर दिया गया।
मात्र एलएलएम को बुलाया
इन नियुक्तियों में पहली अकीला नागौरी है। वो हॉल ही में स्लेट पास हुई है और अपने आपको पीएचडी भी बताती है (जबकि कई लोग इसे गलत बताते हैं)। दूसरी फैकल्टी सुनील रामचंदानी, बैंक से रिटायर्ड खरबंदा और एक अन्य मात्र एलएलएम है। इन्हें कॉलेज ने बकायदा एक अप्वाइनंटमेंट लेटर भी दिया है। जानकारी के अनुसार इनका वेतन भी 18 हजार रुपए निश्चित किया है। इनके पत्र में इन्हें कभी भी हटाने की बात कही गई है। हालांकि कॉलेज प्रिंसिपल इन्हें गेस्ट फैकल्टी के रूप में बुलाने की बात कह रही है।
दो फैकल्टी अवकाश पर
प्रिंसिपल के अनुसार कॉलेज की दो फैकल्टी अभी मातृत्व अवकाश पर है इसलिए इनकी नियुक्ति की गई है, लेकिन यह फैकल्टी खुद इसे गलत बताती है। वो कभी अपने आपको गेस्ट तो कभी स्थायी फैकल्टी बताती है। पिछले साल कॉलेज में जनभागीदारी से नियुक्तियां की गई थी। इसमें नियमों को ताक में रख पिछले साल नियुक्त की गई फैकल्टी को ही बिना इंटरव्यू फिर से नियुक्ति दे दी गई। जबकि पिछले साल आवेदन ही नहीं करने वाले को भी फैकल्टी बना दिया गया है। बाद में जब दबंग दुनिया ने इसका समाचार प्रकाशित किया तो इनमें से कुछ को फिर से बाहर कर दिया गया।
वेटिंग लिस्ट को किया दरकिनार
गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में पिछले सत्र के लिए जुलाई में जनभागीदारी से गेस्ट फैकल्टी की नियुक्तियों के लिए आवेदन मंगवाए गए थे। इसमें कुल 14 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। छह अभ्यर्थियों को वेटिंग लिस्ट में रखा गया था। नियमानुसार नियुक्तियों के लिए इंटरव्यू होना चाहिए थे, लेकिन प्रिंसिपल डॉ. शोभा सुद्रास ने मनमर्जी से लिस्ट के आधार पर ही नियुक्तियां दे दी और इंटरव्यू करवाए ही नहीं। जब कई अभ्यर्थियों ने शिकायत की तो करीब पांच माह नौकरी कराने के बाद जनवरी में इंटरव्यू कराए गए। इसमें भी यहां कार्यरत अभ्यर्थियों को ही नियमित किया गया, जबकि नियमानुसार वेटिंग लिस्ट के अभ्यर्थियों को बुलाना था।
सीएम ने मांगा जवाब
अब शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की गई है। वेटिंग लिस्ट की आवेदिका संगीता राठौर ने शिकायत दर्ज की है। उन्होंने इसकी शिकायत उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, आयुक्त और अतिरिक्त संचालक इंदौर संभाग को भी की है। अतिरिक्त संचालक को पहले भी शिकायत की थी, लेकिन उन्होंने कार्रवाई नहीं की। सीएम हेल्पलाइन की तरफ से प्रिंसिपल से एक हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है और अब अतिरिक्त संचालक भी जल्दी ही जांच की बात कह रहे हैं।
बार-बार बयान बदल रही नियुक्त फैकल्टी
अभी तो अपाइंटमेंट लेटर दिए ही नहीं है.. (फिर बताया लेटर देखा है, मिला नहीं है), अभी 15-20 दिन ही हुए हैं काम किए (फिर बताया कि नेक निरीक्षण के पहले नियुक्ति हुई थी) रुपया निश्चित नहीं है (फिर बताया कि फिक्स है)... पीएचडी-स्लेट क्लीयर हूं (जबकि कई लोग पीएचडी पर सवाल उठा रहे है).. कुछ लोग जबरन आपत्ति उठा रहे हैं (फिर बताया आपको जवाब ही क्यों दूं)...
- अकीला नागौरी, फैकल्टी - लॉ कॉलेज
चार लोगों को रखा है...
दो फैकल्टी मातृत्व अवकाश पर है। इस कारण चार लोगों को रखा गया है। यह टेम्परेरी है और इन्हें हटा दिया जाएगा। अभी हमने कोई परमानेंट नियुक्तियां नहीं की है। जनभागीदारी की नियुक्तियां जनवरी-फरवरी में इंटरव्यू के माध्यम से होगी।
- डॉ. शोभा सुद्रास, प्रिंसिपल - गवर्नमेंट लॉ कॉलेज
मनमानी चल रही है..
कॉलेज में हो रही नियुक्तियों में पिछले साल से ही मनमानी चल रही है। अधिकांश फैकल्टी एलएलएम है, जबकि विज्ञापन जारी कर शासकीय नियमानुसार अधिकतम योग्यता वालों को नियुक्त किया जाना चाहिए। मामले की जांच होना चाहिए।
- डॉ. संगीता राठौर, शिकायतकर्ता