पंकज भारती-
इंदौर। किसानों की आय दोगुना करने का दावा करने वाली मोदी सरकार के मप्र में किसानों को उनकी फसलों की लागत भी नहीं मिल पा रही है। इसलिए प्रदेश के कोल्ड स्टोरेजों में रखा 300 लाख किलो आलू सड़कों पर फेंकने की तैयारी की जा चुकी है। इस संबंध में मप्र कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ने आलू का भंडारण करने वाले सभी किसानों को अंतिम चेतावनी दे दी है। एसोसिएशन ने कहा है आलू को वापस निकालने की समय सीमा 31 अक्टूबर 2017 को समाप्त हो गई है। अब इन्हें भंडारणकर्ता को सूचना दिए बगैर कभी भी फेंक सकते हैं। वर्तमान में आलू की कम से कम औसत कीमत 4 रुपए प्रति किलो भी मान ली जाए तो जो आलू फेंके जाने वाले हैं उनकी कीमत 12 करोड़ रुपए होगी।
जाहिर सूचना से किसानों को दी चेतावनी
एसोसिएशन के अनुसार मप्र में कुल 200 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनमें पांच लाख कट्टे आलू का स्टॉक है। एक में 60 किलो आलू रहता है। अत: 300 लाख किलो आलू पर अब किसानों का नहीं, बल्कि कोल्ड स्टोरेज वालों का अधिकार है और वे इसका जो चाहे वह उपयोग कर सकते हैं। इस संबंध में एसोसिएशन ने जाहिर सूचना निकाल कहा है कि आलू एक क्षरण योग्य सब्जी है, जिसकी निकासी की अंतिम समयावधि 31 अक्टूबर तक थी। जिन भंडारकर्ताओं ने आलू का किराया एवं अन्य देय राशि लोन, हम्माली, ब्याज, गाड़ी भाड़ा आदि जमाकर आलू की डिलीवरी कोल्ड स्टोरेज से नहीं ली है, उनके आलू अन्य लोगों को बेच दिए जाएंगे और विक्रय योग्य न होने पर उसे फेंकने की व्यवस्था है। विक्रय की सूचना किसानों को अलग से नहीं देंगे।
50 पैसे किलो भाव
कोल्ड स्टोरेज में किसानों ने जनवरी में आलू स्टोर किया था। उस समय आलू के भाव थोक बाजार में 8 से 10 रुपए किलो थे, किंतु वर्तमान में कीमत थोक बाजार में गिरकर 50 पैसे प्रति किलो तक पहुंच गई है। ऐसे में किसानों को आलू की लागत भी नहीं मिल पा रही है। किसानों को प्रति किलो आलू के उत्पादन पर 3 से 4 रुपए की लागत आती है। वहीं कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू पर 190 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से किराए का भुगतान भी करना है। इसके अलावा हम्माली, गाड़ी भाड़ा आदि को मिलाकर प्रति किलो 2 से 2.5 रुपए की राशि का भुगतान भी करना होगा। इसलिए किसान अपना माल कोल्ड स्टोरेज से नहीं निकाल रहे हैं।
हमें तो फिंकवाने का पैसा भी देना पड़ेगा
मप्र कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन का कहना है कि हमें तो दोहरा नुकसान हो गया है। एक तो आलू रखने का किराया भी नहीं मिला, ऊपर से आलू को फिंकवाने के लिए भी पैसे खर्च करना होंगे। आलू को फेंकने के लिए प्रति क्विंटल 20 से 30 रुपए का खर्च बताया जा रहा है। कोल्ड स्टोरेज वालों का कहना है कि एक तरफ तो हमें आलू फेंकना पड़ रहा है। दूसरी तरफ आलू की फसल में हुए भारी नुकसान को देखते हुए मप्र के किसानों ने आलू की बोवनी 20 फीसदी कम कर दी है। घाटे के कारण आने वाली फसल किसान बजाय कोल्ड स्टोरेज में रखने के हाथोहाथ बेचना चाहेगा, ऐसे में कोल्ड स्टोरेज खाली रह जाएंगे।
किसानों की हालत खराब
आलू किसानों की हालत खराब है। 31 अक्टूबर तक किसानों को आलू कोल्ड स्टोरेजों से निकालना थे, किंतु नवंबर समाप्त होने को आया है और आलू को लेने किसान नहीं आ रहे हैं। हमारा किराया भी अटका हुआ है। स्टोरेजों में रखे आलू को कोई लेने वाला भी नहीं मिल रहा है मजबूरन हमें आलू को फेंकना पड़ रहा है।
- हसमुख जैन गांधी, अध्यक्ष, मप्र कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन