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विदेश में खेलने के लिए बन गए स्कूली विद्यार्थी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 27 2017 1:26PM | Updated Date: Nov 27 2017 1:26PM
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रफी मोहम्मद शेख-

इंदौर। ऑस्ट्रेलिया में हो रहे पैसेफिक स्कूल गेम्स (3 से 9 दिसंबर) में भाग लेने के लिए देशभर से करीब 150 खिलाड़ी 27 को पहले दिल्ली जाएंगे, फिर वहां से टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया जाएंगे। जहां इनका आने-जाने से लेकर ठहरने तक का करोड़ों रुपए का खर्च सरकार उठा रही है। टीम के साथ नेताओं और अधिकारियों की फौज भी कोच-मैनेजर के रूप में घूमने जा रही है। मजेदार बात यह है कि इस टीम में कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं, जो अभी स्कूल में नहीं, कॉलेज में पढ़ते हैं, जबकि इसके लिए स्कूली खिलाड़ी होना शर्त है। यहां तक कि इंदौर से इस टीम में चयनित डाइविंग खिलाड़ी तो इसी महीने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में एक गोल्ड और एक ब्रांज मेडल जीतकर लाई है। पिछले साल भी एक कॉलेज खिलाड़ी इसमें खेली थी। जानकारी के अनुसार देशभर में ऐसे कई अन्य खिलाड़ी हैं, जो अब स्कूल में नहीं हैं, लेकिन पिछले साल स्कूल से खेलने के कारण अब टीम के सदस्य हैं। इससे यह सारी प्रक्रिया सवालों में घिर गई है।
 
पैसेफिक गेम्स के लिए मध्यप्रदेश से 19 खिलाड़ियों का चयन किया गया है। वास्तव में इनकी संख्या 30 थी, लेकिन अन्य कारणों और पासपोर्ट की समस्या के कारण 11 खिलाड़ी बाहर कर दिए गए। इस टीम में 19 साल की आयुवर्ग के स्कूल में पढ़ने और अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी चुने जाने थे।

बीबीए फर्स्ट ईयर की छात्रा 
वास्तव में कुल 11 खेलों के लिए चुने गए खिलाड़ियों में इंदौर से डाइविंग की अच्छी खिलाड़ी भाविका पिंगले का चयन भी इस टीम में हुआ है, जो स्कूल की छात्रा ही नहीं है। भाविका पिछले साल तक स्कूल में पढ़ती थी और अब हायर सेकंडरी पास करने के बाद इंदौर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट (आईएमआई) में बीबीए की छात्रा है। इसी हैसियत से वह इस साल देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की टीम में चुनी गई। उसने चंडीगढ़ में आयोजित हुई ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी तैराकी-डाइविंग स्पर्धा में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी का प्रतिनिधित्व किया। उसने 10 मीटर डाइविंग में गोल्ड और तीन मीटर में ब्रोंज मेडल भी जीता है।
 
लगातार दूसरे साल टीम में
अधिकारियों के अनुसार चयन पिछले साल के स्कूली प्रदर्शन के आधार पर हुआ है। जब कोई स्कूल का विद्यार्थी ही नहीं है और यूनिवर्सिटी का मेडल जीत रहा है तो वो कैसे इस टीम में सिलेक्ट हो सकता है। यानी वह इस साल स्कूल गेम्स में भी खेल रही है और यूनिवर्सिटी में भी। भाविका अच्छी प्लेयर है इसी कारण पिछले साल भी वो डाइविंग में ऑस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय टीम में चयनित हुई थी। यानी इस बार वह लगातार दूसरे साल टीम के साथ जा रही हैं।
 
पिछले साल भी यही हुआ
यहीं नहीं,. पिछले साल देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में सेकंड ईयर में पढ़ने वाली अपूर्वा वैष्णव भी पैसेफिक स्कूल गेम्स में स्ट्रेलिया गई थी, जबकि पिछले साल वह कॉलेज की विद्यार्थी थी। इस साल उसे नेशनल में ब्रोंज मेडल मिला है। जानकारी के अनुसार देश की इस टीम में ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जो हायर सेकंडरी उत्तीर्ण होने के बाद यूनिवर्सिटी की टीम से खेल रहे हैं, लेकिन विदेश जाने के नाम पर फिर से स्कूली विद्यार्थी बन गए हैं। प्रदर्शन का आधार भले ही पिछले साल का रहा हो, लेकिन उसके बावजूद स्कूल का विद्यार्थी होना भी शर्त है, उसे नजरअंदाज कर दिया गया है। इससे कई प्रतिभाशाली स्कूली खिलाड़ियों का हक मारा गया है।
 
कई अधिकारी भी जा रहे
भारतीय टीम के साथ प्रत्येक राज्य से कई अधिकारी भी साथ जा रहे हैं। प्रदेश से भी स्कूली शिक्षा मंत्री विजय शाह सहित स्कूल शिक्षा विभाग के कई अधिकारी मैनेजर व कोच बनकर जा रहे हैं। ऐसा ही दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों का साथ जा रहे नेता व अधिकारी भी हैं। इन सभी के खेलों के प्रति ज्ञान पर बड़े सवाल उठाए जा रहे हैं। 
 
भाग नहीं ले सकता
अगर कोई स्कूल का विद्यार्थी नहीं है तो वह पैसेफिक स्कूल गेम्स में भाग नहीं ले सकता है। इसके लिए स्कूल का विद्यार्थी होना शर्त है। कॉलेज में पढ़ने वाले इसका भाग नहीं हो सकता है।
- हेमंत वर्मा, सहायक संचालक (खेल) - इंदौर संभाग
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