- शैलेंद्र वर्मा
इंदौर। आपके बच्चे अगर निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं और आप स्कूल की फीस सहित अन्य मनमानियों से परेशान हैं तो यह पीड़ा आपको कब तक सहना है इसका जवाब प्रदेश सरकार के पास नहीं है। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह खुद ही पालकों से किया अपना वाद भूल गए हैं। अब तो विधानसभा का मानसून सत्र भी खत्म होने को है लेकिन मंत्री ने फीस रेग्यूलेटरी बिल पास करने के लिए एक कदम भी नहीं बढ़ाया, जबकि प्रदेश के लाखों पालक पूरे सत्र के दौरान उस दिन का इंतजार करते रहे, जिस दिन विधानसभा पटल पर ये बिल रखा जाता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
विधि विभाग में पड़ा रहा बिल
जिस मानसून सत्र में फीस रेग्यूलेटरी बिल पारित होना था, उसी मानसून सत्र में बिल विधि विभाग के पास पड़ा रहा और इसके हिंदी और अंग्रेजी के अनुवाद में यह जांच की जाती रही कि बिल के हिंदी संस्करण में जो लिखा गया है वही अंग्रेजी में लिखा गया है या नहीं। जबकि मंत्री विजय शाह यह कहते रहे कि फीस रेग्यूलेटरी बिल तैयार है, बस पेश करना बाकी है। मैं बिल के प्रावधान इसलिए नहीं बता सकता हूं कि संवैधानिक पद पर हूं।
ग्रेडिंग के नाम पर टला बिल
स्कूल शिक्षा विभाग ने विधानसभा के मानूसन सत्र में भी फीस रेग्यूलेटरी बिल पेश करने के बजाए टाल दिया है, क्योंकि विभाग पहले निजी स्कूलों को ग्रेडिंग देगा जिसके बाद फीस नियंत्रण की योजना तैयार करेगा। विभाग ने फिलहाल पालकों को ऐसा ही लॉलीपॉप देकर बिल टाल दिया है। वहीं पालक संघ ग्रेडिंग का पहले ही विरोध करते हुए कह चुका है कि स्कूल को होटल की तरह फाइव स्टार रेटिंग और ग्रेडिंग नहीं दी जा सकती, क्योंकि इससे बच्चों में दुर्भावना पैदा होगी। फिलहाल प्रदेश सरकार इस सत्र में भी पालकों पर पड़ने वाला फीस का अर्थिक बोझ कम करने में नाकाम साबित हुई और इसका सीधा-सीधा लाभ प्रदेश के शिक्षा माफिया को मिलेगा।
स्कूलों की फीस उनके द्वारा दी जा रही सुविधाओं के आधार पर तय की जाएगी। पहले स्कूलों को ग्रेडिंग देने का काम किया जाएगा ।
- विजय शाह, स्कूल शिक्षा मंत्री
फीस रेग्यूलेटरी बिल बनकर तैयार है, विधानसभा में पेश करने का अधिकार मंत्री के पास है। मैं नहीं बता सकता कि वे इसे कब तक पेश करेंगे।
- दीपक जोशी, तकनीकी एवं स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री
इनका कहना है
सरकार निजी स्कूलों के दबाव में पालकों से वादे के बाद भी फीस रेग्यूलेटरी बिल पेश नहीं कर सकी। मंत्री शाह की इस वादाखिलाफी से प्रदेशभर के लाखों पालकों में रोष है। इसका परिणाम सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा।
- सुनील खंडेलवाल, सदस्य , मप्र पालक संघ