29 Mar 2024, 13:25:57 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- केपी सिंह
 
इंदौर। निगम के नक्शा विभाग में दलालों से सांठगांठ कर ‘नक्शे’ का खेल कर अफसर जमकर चांदी काट रहे हैं। बिल्डिंग परमिशन में बैठे ज्यादातर बीओ-बीआई धन के कुबेर बन गए और सिर्फ गांधी को पहचानते हैं। ये निगम में आए तो ‘किराए’ पर थे, किंतु अब बड़ी हवेलियों और महंगी गाड़ियों के मालिक बन गए। यहां तक आॅनलाइन व्यवस्थाओं में भी गली निकालकर ऑर्किटेक्ट को भी काली कमाई में शामिल कर लिया। निगम कमिश्नर मनीष सिंह ने बिल्डिंग परमिशन विभाग में चल रहे दलाली के खेल पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, बल्कि बड़े स्तर पर सर्जरी की तैयारी कर ली। इसमें सबसे चर्चित चेहरे और दलालों के ‘दोस्तों’ पर अब कार्रवाई की गाज गिरेगी और जरूरत पड़ी, तो केस भी दर्ज होगा। सूत्रों की मानें तो निगम में दो दलालों में नक्शे को लेकर मनमुटाव हो गया और दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसमें मय प्रमाण एक दलाल ने सभी जानकारी मेयर और निगम कमिश्नर को उपलब्ध करा दी, जिससे दलालों में हड़कंप मच गया। 
 
ये हैं दो ताजे मामले 
सितंबर 2016 में पीपल्याहाना के खसरा क्रं. 589/8 पर आवासीय उपयोग की जमीन पर व्यावसायिक चार मंजिला भवन निर्माण की मंजूरी दी। यहां बृजेश्वरी एक्सटेंशन कॉलोनी में दर्शाकर आवासीय दर से संपत्तिकर जमा किया, जबकि जमीन किसी कॉलोनी का हिस्सा नहीं थी, इसीलिए भवन अधिकारी विष्णु खरे, भवन निरीक्षक वैभव देवलासे व  ऑर्किटेक्ट एमआर बक्शी को नोटिस जारी कर सात दिन में जबाव मांगा।
 
भवन अधिकारी देवकीनंदन वर्मा ने जोन 11 के तहत विकास सिंगई व अन्य प्लॉट नं.  13 रतलाम कोठी में नक्शे की अनुमति दी, जिसमें प्लॉट एरिए के मान से स्टीर्ल्ड पार्किंग अनुमति नहीं दी जा सकती थी, मगर दे दी। प्लॉट नंबर 13 रतलाम कोठी में पार्किंग का नियमानुसार स्लेप पॉजिशन नहीं किया। इस पर वर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय जांच बैठा दी। 

दुकान पर तय होते हैं नक्शे के रेट 
बीओ-बीआई की दलाली का काम निगम गेट के बाहर नक्शा पास करने की दुकान लगाकर बैठे प्राइवेट लाइसेंसी इंजीनियर ( ऑर्किटेक्ट ) के माध्यम से किया जाता है। ये लोग बीओ-बीआई के पासवर्ड का भी बसूखी इस्तेमाल कर फाइल की वास्तुविक स्थिति भी देखते है कि कहां तक पहुंची है। फाइलें और अभी क्या स्टे्टस है। इसके बाद ‘क्लाइंट’ से मोटी राशि वसूली जाती है। ऐसे कई मामले में अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीवाड़ा किया गया है। कई मामलों में अफसरों की तगड़ी सेटिंग पर आवासीय नक्शा कमर्शियल पास कर बिल्डिंग तन गई। 
 
ऑनलाइन व्यवस्था का निकाला तोड़
निगम का सबसे मलाईदार विभाग बिल्डिंग परमिशन में सिर्फ ‘गांधी’ को पहचाना जाता है, जिसके बिना कोई काम नहीं होता है। फाइल पर थोड़ा सा वजन रखते ही तेज रफ्तार से दौड़ने लगती है। यहां परमिशन में ( बिल्डिंग इंस्पेक्टर) बीओ और (इंस्पेक्टर) बीआई की उम्मीद पर खरा उतरना भी जरूरी है। यहीं कारण है कि नगरीय प्रशासन विभाग ने फर्जीवाड़ा रोकने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था लागू की, तो इंदौर में उसका भी तोड़ निकाल लिया। लोगों को नक्शा पास कराने के लिए चप्पलें घीसना पड़ती थी। अगर इस दौरान बीओ और बीआई को खुश नहीं किया, तो नक्शा अटका दिया जाता है। अगर एक फाइल को एक से दूसरी टेबल तक पहुंचाना है, तो उसका रेट फिक्स है। इधर इंजीनियर पुणे की कंपनी ऑटोडीसीआर सेल से ऑनलाइन नक्शा पास कराने के पैसे वसूल लेते हैं, जबकि ये काम फ्री में होता है। 
 
...तो दर्ज कराएंगे एफआईआर 
निगम की बिल्डिंग परमिशन में गड़बड़ी की शिकायत मिल रही थी। इसी के तहत मेयर के निर्देश पर जांच शुरू की गई और नोटिस जारी किए हैं। कई मामले और भी पकड़ में आए हैं, जिसमें अफसरों व ऑर्किटेक्स को भी नोटिस जारी करेंगे। अफसरों को स्पष्ट कर दिया है कि बिल्डिंग परमिशन में कोई भी बाहरी व्यक्ति या दलाल पाया गया, तो संबंधित अधिकारी के साथ ही उक्त व्यक्ति के विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।  
- मनीषसिंह, कमिश्नर, नगर निगम 
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