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उज्जैन का IT पार्क घोटालाः इस्कॉन मंदिर का स्वामी जमीनों का सौदेबाज

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 19 2017 9:04PM | Updated Date: Jun 22 2017 12:54PM
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विनोद शर्मा -इंदौर 

इंदौर। वराह मिहिर इन्फोडोमिन के झंडे तले आईटी पार्क के नाम पर उज्जैन की जिस सबसे बड़ी जमीन धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया है उसके मास्टरमाइंड इस्कॉन उज्जैन के सर्वेसर्वा भक्ति चारू स्वामी हैं। महाभारत के संजय की तरह भक्ति चारू से दिव्यदृष्टि का वरदान लेकर उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) ने जनवरी 2006 में पंजीबद्ध हुई वराह मिहिर को 8 नवंबर 2005 को ही बेशकीमती जमीन आवंटित कर दी थी। इस्कॉन प्रेम में अंधे अधिकारियों ने न कंपनी की वर्थ देखी और न  पूर्व अनुभव। 2017 में एक बार फिर भक्ति चारू ने अपने दिमाग का जलवा दिखाया। पहले कंपनी की डायरेक्टरशिप त्यागी, विदेश से आए शागिर्दों को डायरेक्टर बनाया और जमीन सहित कंपनी का ही सौदा इंदौर के महादी ग्रुप को कर दिया। 
 
यूडीए ने भरतपुरी प्रशासनिक क्षेत्र में 28400 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर 43 इस्कॉन समूह की जैबी कंपनी को 500 रुपए/वर्गमीटर में आवंटित किया था। बोर्ड में यह निर्णय 25 नवंबर 2005 को लिया गया था।  आवंटन की प्रक्रिया से लेकर बैंक ऑफ इंडिया और कैनरा बैंक से कर्ज लिए जाने तक प्लॉट विवादों में रहा। इस बीच भक्ति चारू ने सबसे पहले डायरेक्टरशिप छोड़ी। हालांकि उन्होंने इसी दौरान 19 मार्च 2015 को राजेंद्र कुमार पटेल, 25 मार्च 2015 को विपिन कुमार ऐरे ‘बिमलकृष्ण दास’, 13 जुलाई 2015 को जगदीशचंद्र सोमानी और 3 अगस्त 2015 को हिमांशु कपूर को कंपनी का डायरेक्टर बना दिया। 
 
89.97 फीसदी शेयर अब भी भक्ति चारू के 
30 जनवरी 2006 को एमसीए में रजिस्टर्ड हुई वराह मिहिर की अथॉराइज्ड कैपिटल और पेड अप शेयर कैपिटल एक-एक लाख है। कंपनी में मौजूदा डायरेक्टर हैं इस्कॉन उज्जैन निवासी गणेशकुमार सरकार, 45 अयोध्यानगरी सूरत निवासी जगदीशचंद्र सोमानी, 77 सत्या निकेतन नई दिल्ली निवासी विपिन कुमार ऐरे, वेट्सफोर्ड यूके निवासी राजेंद्रकुमार पटेल और नई दिल्ली निवासी हिमांशु कपूर। इसमें 89.97 फीसदी शेयर डायरेक्टरशिप से इस्तीफा देने के बाद भी भक्ति चारू के नाम हैं। वहीं 10 फीसदी शेयर 23 जुलाई 2010 को डायरेक्टरशिप छोड़ चुके चिरनजीत भौमिक के नाम हैं। मतलब गणेशकुमार सरकार, विपिन ऐरे और राजेंद्र पटेल के नाम एक-एक फीसदी शेयर हैं, जिसकी कीमत 10 रुपए/शेयर है। 
 
2006 में पंजीयन, 2005 में दे दी जमीन
उधर, मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स से प्राप्त दस्तावेजों की मानें तो यूडीए ने जमीन 30 साल की लीज पर 8 दिसंबर 2005 को वराह मिहिर इन्फोडोमेन प्रालि को आईटी पार्क के लिए दी थी जबकि वराह मिहिर रजिस्टर्ड हुई 13 जनवरी 2006 को। 
 
एक फीसदी शेयर वाले ने किए साइन
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब 89.97 फीसदी शेयर भक्ति चारू के नाम हैं तो वराह मिहिर और महादी के बीच हुए अनुबंध पर 26 जनवरी 1965 को जन्मे विपिन पिता जगदीशलाल ऐरे ने साइन क्यों और कैसे किए जबकि वे कंपनी में सिर्फ 10 रुपए के भागीदार हैं। इसका सीधा मतलब है कि भक्ति चारू स्वामी भी अपनी स्वीकृति सौदे को दे चुके हैं। ऐरे यूके की हेर्ट्स फोर्डशयर यूनिवर्सिटी के पासआउट हैं। ऐरे इस्कॉन समूह की एक और कंपनी मशिनो टेक्स प्रालि के भी डायरेक्टर हैं जिसका पंजीकृत पता राधामदन मोहन मंदिर भरतपुरी है। 
 
बड़े खिलाड़ी हैं भक्ति चारू
आईटी पार्क के लिए जमीन लेने वाली वराह मिहिर की डायरेक्टरशिप त्याग चुके भक्ति चारू अलकॉक मेकफर जियोटेक प्रालि के डायरेक्टर हैं। 74, किरन शंकर रॉय रोड कोलकाता के पते पर 16 फरवरी 2005 से पंजीबद्ध इस कंपनी में 21 जनवरी 2008 को भक्ति चारू स्वामी भी डायरेक्टर बने। इस कंपनी के लिए उन्होंने वराह मिहिर को मिली जमीन गिरवी रखी और बैंक आॅफ इंडिया और कैनरा बैंक से लोन लिया। 
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