- अनूप सोनी
इंदौर। नोटबंदी के बाद अब बैंक उपभोक्ता एक बार फिर से एटीएम से कैश निकालने के लिए परेशान होने लगे हैं। एटीएम में कम कैश भरा जा रहा है, जो जल्दी खत्म हो जाता है। शहर के कई एटीएम पर तो ‘कैश नहीं है’ के बोर्ड नजर आने लगे हैं। कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध ढंग से ऐसा किया जा रहा है।
इंदौर में विभिन्न बैंकों के 1200 से अधिक एटीएम हैं। नोटबंदी के बाद से अधिकतर उपभोक्ता बैंक के बजाय एटीएम से कैश निकालने लगे हैं। बैंकों ने उपभोक्ताओं के लिए एटीएम से कैश निकालने की तीन से पांच बार की लिमिट तय कर रखी है। इससे ज्यादा बार निकालने पर 1 अप्रैल से चार्ज लगाना शुरू किया है। वहीं दूसरे बैंक के एटीएम से भी ज्यादा बार कैश नहीं निकाल सकते। इसकी भी लिमिट है। ऐसे में अपने बैंक के एटीएम में पैसा नहीं होने पर उसे दूसरे बैंक के एटीएम में जाना पड़ रहा है, जिससे उसे अतिरिक्त चार्ज भी भुगतना पड़ता है।
ऐेसे पहुंचता है एटीएम में कैश
बैंकें एटीएम में कैश रखने का काम तय एजेंसी से कराते हैं। एजेंसी वाले संबंधित बैंक के चेस्ट से रोजाना कैश लेकर शहरभर में स्थित अपने एटीएम में रखते हैं। बीते कुछ दिनों से एजेंसी वाले जितनी राशि की डिमांड कर रहे हैं, बैंक से उतनी मिल नहीं रही है। यहीं कारण है कि इन दिनों कई एटीएम पर ‘कैश नहीं है’ के बोर्ड नजर आने लगे हैं। हालांकि बैंक शाखा में कैश लेन-देन को लेकर फिलहाल किसी तरह की दिक्कत नहीं है।
एसबीआई के उपभोक्ता ज्यादा परेशान
स्टेट बैंक आॅफ इंडिया (एसबीआई) एक ऐसा राष्ट्रीयकृत बैंक है जिसमें उपभोक्ता की संख्या सबसे ज्यादा है। एटीएम में कैश की कमी होने से उन्हें ज्यादा परेशानी आ रही है।
नई करेंसी कम आई
सरकार ने जब पांच सौ और एक हजार के पुराने नोट बंद किए थे, उसके बाद जो नई मुद्रा चलन में आई है, वह पुरानी का 70-75 प्रतिशत ही है। इस कारण बाजार में नकदी का संकट उत्पन्न हो गया है। यहीं कारण है कि बैंकों के चेस्ट से एटीएम को पर्याप्त कैश नहीं मिल पा रहा है।
- आलोक खरे, वाइस चेअरमैन, आॅल इंडिया बैंक आॅफिसर्स एसोसिएशन