रफी मोहम्मद शेख इंदौर। डिग्री और मार्कशीट के लिए परेशान होने वाले विद्यार्थियों के लिए यह खबर राहतभरी हो सकती है। अब यूनिवर्सिटी को डिग्री और मार्कशीट आवेदन करने के दो दिन के अंदर ही विद्यार्थी को देना पडेगी। इसके लिए यूनिवर्सिटी बहाना भी नहीं बना सकेगी, क्योंकि इन कामों को अब लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत शामिल कर लिया है। इससे यूनिवर्सिटी यह देने के लिए बाध्य हो गई है। सबसे ज्यादा शिकायतें इन दोनों कामों के लिए होती हैं।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम 2010 के अंतर्गत 23 विभागों द्वारा प्रदाय की जाने वाली कुल 164 सेवाओं को शामिल किया गया है। इसमें उच्च शिक्षा विभाग भी है। मुख्य रूप से विद्यार्थी अपनी डिग्री के लिए सबसे ज्यादा परेशान होता है। यूनिवर्सिटी परीक्षा पास करने के बाद मार्कशीट तो दे देती है, लेकिन डिग्री देने में महीनों नहीं बल्कि सालों का समय लगा देती है। जबकि इसके लिए फाइनल की परीक्षा के साथ ही एडवांस रुपए भरवा लिए जाते हैं।
कई बार हो चुकी शिकायतें
वहीं विद्यार्थी जब डिग्री के लिए अलग से आवेदन करता है, तो उसे फिर से रुपए भरना पड़ते हंै। इसके बावजूद यूनिवर्सिटी से उसे यह पाने में आठ दिन से एक महीने तक का समय लग जाता है। ऐसी ही स्थिति डुप्लीकेट मार्कशीट के बारे में होती है। यूनिवर्सिटी में फॉर्म भरने से लेकर प्राप्त करने की लंबी प्रक्रिया के चलते उसे एक हफ्ते से लेकर 15 दिन का समय लग जाता है। इसके बाद भी कई बार कागजों की कमी सहित अन्य समस्याएं बता दी जाती हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से लेकर उच्च शिक्षा विभाग तक कई बार शिकायतें हो चुकी हंै।
क्या-क्या बांधा समय-सीमा में
नामांकन
माइग्रेशन सर्टिफिकेट
प्रोविजनल डिग्री
डुप्लीकेट मार्कशीट
मार्कशीट में सुधार
पीएचडी आरडीसी
पीएचडी अवार्ड
सुधार व नामांकन तीन दिन में
साथ ही अन्य योजनाओं में मार्कशीट में सुधार, नाम या उपनाम सुधार करने की प्रक्रिया के लिए भी अधिकतम दो दिन का समय निश्चित कर दिया है। वहीं नामांकन और माइग्रेशन प्रमाण-पत्र प्रदान करने के लिए अब यूनिवर्सिटी को तीन दिन का समय दिया है। यह सेवाएं भी ऐसी हैं, जिसमें विद्यार्थी को तुरंत इसकी जरूरत होती है। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में इसके लिए अभी करीब सात दिन का समय लगता है, लेकिन अब उन्हें यह आधे से भी कम समय में तैयार करना होगी। इसके लिए वर्तमान स्टाफ को बढ़ाने की जरूरत भी होगी।
पीएचडी पर भी आई अनिवार्यता
इस लिस्ट में न केवल डिग्री और मार्कशीट संबंधी सेवाएं शामिल की गई हैं, बल्कि पीएचडी को भी अनिवार्य दिनों में बांध दिया है। अब आरडीसी (रिसर्च डिग्री कमेटी) की बैठक में लिए गए निर्णयों के बाद यूनिवर्सिटी को 15 दिनों के अंदर रिसर्च रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी करना होगा। इसमें समस्याओं का निराकरण करने का समय भी शामिल है। वहीं पीएचडी की थीसिस प्रस्तुत करने के बाद पीएचडी अवार्ड करने का समय भी अधिकतम छह महीने होगा। इस समस्या से सैकड़ों पीएचडी स्कालर प्रभावित होते हैं, क्योंकि यूनिवर्सिटी के पास थीसिस जमा होने के बाद महीनों तक पहले वह पड़ी रहती है और उसके बाद उसे जंचवाने में भी महीनों का समय लग जाता है। नए नियम के बाद इससे राहत मिलने की उम्मीद है।