28 Mar 2024, 20:13:01 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

संतोष शितोले इंदौर। जुए में पकड़ाए 13 आरोपियों में से एक (मकान मालिक) को जांचकर्ता एसआई लगातार फरार बताता रहा। शिकायत मिलने के बाद जब एडीजी ने जांच कराई तो पता चला कि एसआई जिस आरोपी को फरार बता रहा है उसकी मौत तो आठ साल पहले हो चुकी है।

मामले में एडीजी ने उक्त एसआई को लाइनअटैच कर दिया। इसके बावजूद उसकी रंगदारी नहीं थमी और वह एक माह तक ड्यूटी पर रहा। इस दौरान उसने एक दुष्कर्म पीड़िता के पिता से भी मुआवजा दिलाने के नाम पर 15 हजार रुपए ले लिए और उन्हें परेशान करता रहा। इसकी भी जांच हुई जिसके बाद एडीजी ने एसआई को सस्पेंड कर दिया।

लगातार शिकायत मिलने के बाद हुई जांच में सच उजागर
मामला एसआई शिवकुमार सिंह परिहार का है, जब वह 2015 में लसूड़िया थाने में पदस्थ था। इस दौरान एसआई परिहार और एएसआई संजय भदौरिया की टीम ने जुए का एक मामला पकड़ा था। इसमें 13 लोगों को आरोपी बनाकर उनके खिलाफ धारा 467, 468 व सार्वजनिक जुआ एक्ट के तहत केस (1082/15) दर्ज किया गया था। 12 को तो गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि एक आरोपी मकान मालिक संदीप पिता सत्यपाल शर्मा निवासी नयापुरा, एरोड्रम रोड की गिरफ्तारी नहीं हुई। शिकायत मिलती रही कि उसकी गिरफ्तारी में टालमटोल की जा रही है। जब जांच हुई तो उक्त खुलासा हुआ।

केस डायरी में लिखता रहा गलत टीप

इसी थाने के एक कांस्टेबल मुकेश यादव (एक मामले में सस्पेंड) ने एडीजी विपिन माहेश्वरी को शिकायत की थी कि इस केस में एसआई परिहार व एएसआई भदौरिया की भूमिका संदिग्ध है। इस पर एडीजी ने जांच के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि उक्त केस डायरी में डेढ़ माह में जितनी भी लिखा-पढ़ी हुई उसमें एसआई परिहार ने संदीप को लेकर यही टीप लिखी कि ‘आरोपी मौके से फरार’ हो गया था।

आखिर वह क्यों नहीं मिल रहा है इस पर मैदानी हकीकत जानी गई। इसके तहत आरोपी के परिजन से पूछताछ की तो पता चला कि संदीप की 4 जून 2007 को ही मौत हो चुकी है। इस बीच परिहार का तबादला परदेशीपुरा थाने हो गया।

इधर, एडीजी के निर्देश पर नगर निगम से संदीप का मृत्यु प्रमाणपत्र निकलवाया तो उसमें भी मौत की पुष्टि हुई। गंभीर लापरवाही बरतने के मामले में एडीजी ने परिहार को 23 अगस्त 2016 को लाइनअटैच कर दिया। विडंबना यह कि इसके बावजूद वह परदेशीपुरा थाने पर जाकर उपस्थित रहा। इसकी भी शिकायत एडीजी के पास पहुंची।

दुष्कर्म पीड़िता के पिता से मांग रहा था 25 हजार
इस दौरान एक अन्य शिकायत जनसुनवाई में एक दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने की। इसमें उन्होंने बताया कि उनकी 14 वर्षीय बेटी के साथ बंटी बुंदेला और भानु नामक युवकों ने दुष्कर्म किया था। इस मामले की जांच लसूड़िया थाने के एसआई परिहार ने ही की थी। उसने पीड़िता के पिता से कहा कि मैं तुम्हें सरकार से डेढ़ लाख रुपए मुआवजा दिला दूंगा लेकिन इसके लिए 25 हजार रुपए देने होंगे। इस पर पीड़िता के पिता ने अपनी गुमटी बेचकर उसे 15 हजार रुपए दिए। खास बात यह कि उक्त रुपए एसआई ने एक लिफाफे में मंगाए थे। उसने वहीं उक्त लिफाफा खोलकर उन रुपयों से फल खरीदे। इसके बाद एसआई उन्हें जाति प्रमाण पत्र बनाने के बहाने कलेक्टोरेट ले गया और टालमटोल की। मामले में पिछले दिनों जब पीड़ित पक्ष कंट्रोल रूम शिकायत करने पहुंचा तो एसआई वहां भी पहुंचा और धमकाया। इस पर उन्होंने शोर मचाया तो वह हेलमेट पहनकर भाग गया। इस मामले में भी जांच में एसआई को दोषी पाया गया।

और ये गंभीर मामले
>    जुए में केस के दौरान एसआई ने आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा नहीं लगाई।
>    जब्ती रजिस्टर 11 दिन तक अपने पास रखा। विवेचना में दोषी होने पर 27 जुलाई 2016 को उसे 100 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जा चुका था।
>    चार साल से एक ही बीट में काम कर रहा था। उसकी जुआरियों-सटोरियों से सांठगांठ थी। इस बीच उसका ट्रांसफर परदेशीपुरा थाने में हो गया।
>    23 अगस्त को लाइनअटैच करने के बाद भी परदेशीपुरा थाने पर उपस्थिति दर्ज करा रहा था। इस पर उसे 20 सितंबर को सस्पेंड कर दिया गया।

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