16 Apr 2024, 17:21:14 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

अनुप्रिया सिंह ठाकुर इंदौर। जुबान को लग चुका जंक फूड का टेस्ट, स्टेटस सिम्बॉल बन रहा अल्कोहल-स्मोकिंग का क्रेज, दर्द को न बर्दाश्त कर पेन किलर लेने की लत और हर बात पर तनाव लेने की आदत ने यूं तो हर एक शख्स की सेहत पर असर डाला है, लेकिन यह लत, उन अजन्मे शिशुओं पर भी भारी पड़ रही है, जो गर्भ में ही इसके असर से बीमार हो रहे हैं।

दरअसल महिलाओं की जीवनशैली में शामिल उक्त तमाम बुरी आदतें उनके होने वाले बच्चे के दिल को कमजोर कर रहीं हैं। यह चौकाने वाला खुलासा हाल ही में बाल हृदय योजना के अंतर्गत हुई बच्चों की जांच के दौरान सामने आया है। जहां योजना के तहत जिले भर से दिल की बीमारी से पीड़ित 324 बच्चों के हृदय की जांच की गई। इनमें से 65 प्रतिशत बच्चों में हृदयरोग का कारण गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की अनियमित जीवनशैली को माना जा रहा है। महिलाओं की लापरवाही न सिर्फ बच्चों में हृदयरोग का कारण बन रही है, बल्कि साल-दर-साल हृदयरोगी बच्चों के जन्म के अांकड़ों को भी बढ़ा रही है। 

जन्मजात हृदयरोग होने के प्रमुख कारण
महिलाओं का एनीमिक होना

विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक महिलाओं का एनीमिक होना कंजेनाइटल हार्ट डिसीज का सबसे बड़ा कारण है। गर्भावस्था के दौरान खून की कमी के चलते गर्भस्थ शिशु के संपूर्ण विकास में कमी आती है, जिसमें हृदय संबंधी विकार होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। डॉक्टरों की मानें तो आमतौर पर 75 से 85 फीसदी महिलाएं एनीमिक होती हैं।

डायबिटीज, तनाव और हाईपरटेंशन
जंकफूड, अल्कोहल और धूम्रपान की लत भी हृदयरोग होने के मुख्य कारणों में शामिल है। खास बात यह है कि शिक्षित वर्ग की नौकरीपेशा महिलाएं इस लत की शिकार हैं, जिससे वे डायबिटीज, हाईपरटेंशन और तनाव से ग्रसित हैं, इसका सीधा असर गर्भस्थ शिशु के हृदय पर पड़ता है।

अनावश्यक दवाओं का सेवन
बच्चों के दिल को कमजोर करने में महिलाओं द्वारा अनावश्यक रूप से दवाओं का सेवन करने की आदत भी जिम्मेदार है। पेन किलर का अत्यधिक प्रयोग बच्चे के दिल को कमजोर कर रहा है।

वॉल्व संबंधित बीमारी सबसे ज्यादा
योजना के नोडल अधिकारी डॉ. प्रवीण जड़िया ने बताया हृदय संबंधी तीन तरह की बीमारियां होती हैं, जिसमें कंजेनाइटल रोग (जन्मजात रोग) यानि हृदय का विकृत आकार शामिल होता है। दूसरी बीमारी एक्वायर्ड की श्रेणी में आती हैं, जिसमें हृदय के वॉल्व में संकुचन या अन्य कोई विकृति हृदय रोग का कारण बनती है, और तीसरी श्रेणी कॉम्पलेक्स रोग की होती है, जिसमें एक साथ दोनों विकृतियां मरीज के हृदय में मिलती हैं, हांलाकि यह मामले बहुत ही कम होते हैं। डॉ. जड़िया ने बताया कि हृदयरोगी बच्चों में सबसे ज्यादा वॉल्व में हो रही विकृति के सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो प्रति 1000 बच्चों में से 8 से 10 बच्चे हृदय रोग से पीड़ित पाए जाते हैं। जिनमें से 25 फीसदी बच्चों का इलाज आॅपरेशन से संभव है।

पीड़ित 324 बच्चे मिले, 1500 का अनुमान
योजना के तहत अब तक जिले भर में हृदयरोग पीड़ित 324 बच्चे डायग्नोज हुए हैं। जिनमें 290 बच्चे आॅपरेशन योग्य पाए गए हैं, वहीं 34 बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है। जिनमें इको कॉर्डियोग्राफी टेस्ट के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों के विश्लेषण के मुताबिक जिलेभर में करीब 1500 हृदयरोग पीड़ित बच्चों के मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है।

इन चिह्नित अस्पतालों में होगा आॅपरेशन
ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल
चोइथराम हॉस्पिटल
भंडारी हॉस्पिटल
सीएचएल हॉस्पिटल
बॉम्बे हॉस्पिटल
मेदांता हॉस्पिटल

इन कागजों के साथ पहुंचें इलाज के लिए

बच्चे का जन्म प्रमाण-पत्र
अभिभावक का मूल निवासी प्रमाण-पत्र
हृदयरोग का डायग्नोसिस फॉर्म
चिह्नित अस्पताल का एस्टीमेट
बच्चे की दो फोटो

ये हैं शुरुआती लक्षण
शरीर का नीला पड़ना
बार-बार सांस में संक्रमण होना
विकास न होना
वजन न बढ़ना
जल्दी सांस फूलना
खेलकूद के प्रति उदासीन रहना

एक्सपर्ट व्यू
अनियमित लाइफस्टाइल बनी परेशानी

बच्चों में 98 फीसदी हृदयरोग जन्मजात होते हैं, दो प्रतिशत वायरल इन्फेक्शन या अन्य कारण होते हैं। गर्भावस्था के दौरान डेवलपमेंटल डिफेक्ट के कारण बच्चों के हृदय में विकार पैदा होते हैं। निश्चित ही महिलाओं की अनियमित होती लाइफस्टाइल बच्चों में हृदयरोगों का मुख्य कारण है, लेकिन चूंकि लोगों में जागरूकता बढ़ी है, इसलिए यह आंकड़े बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। जबकि पहले लोग इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचते ही नहीं थे।
डॉ. धीरज गांधी, शिशु हृदयरोग विशेषज्ञ

खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान दें महिलाएं

जांच के लिए आ रहे बच्चों की नेचर हिस्ट्री पता करने पर यह बात सामने आ रही है कि कुपोषित मां द्वारा जन्मे बच्चों में हृदय संबंधी रोग के मामले काफी मात्रा में सामने आ रहे हैं।  इसके अलावा तनाव, डायबिटीज और हाईपरटेंशन से पीड़ित महिलाओं के बच्चों में भी हृदयरोग ज्यादा देखा जा रहा है। इसलिए हम महिलाओं से अपील करते हैं कि वे पहले स्वयं के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दें।
डॉ. प्रवीण जड़िया, नोडल अधिकारी,
बाल हृदय योजना

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