रफी मोहम्मद शेख इंदौर। मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा प्रदेश के गवर्नमेंट कॉलेजों में होने वाली 2371 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर स्थगित हो गई है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के बदले नियमों का लाभ देने के लिए स्थगित की गई इस प्रक्रिया में आवेदन नहीं हो पाने का जो तर्क दिया गया है, उसमें खास फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि इससे इन भर्तियों में और देरी होगी। कुल मिलाकर सितंबर 2014 में शुरू हुई यह प्रक्रिया लगभग ढाई साल बाद ही पूरी हो पाएगी। आयोग ने पहले ही अपात्र अभ्यर्थियों को न तो फॉर्म भरने से रोका और न ही परीक्षा में बैठने से।
15 हजार आवेदन
असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 24 अप्रैल 2016 तक मात्र 15 हजार आवेदन ही पहुंचे थे। कुल 26 विषयों में होने वाली इस भर्ती में पीएचडी के साथ ही नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी नेट या स्लेट की परीक्षा उत्तीर्ण होने की कड़ी शर्त के कारण इतनी कम संख्या में आवेदन पहुंचे थे। पिछले साल निरस्त हुई इस भर्ती में 35 हजार से ज्यादा आवेदकों ने फॉर्म जमा किए थे। इसके बाद मई में मानव संसाधन विभाग द्वारा नेट परीक्षा से छूट देने का निर्णय लिया गया और उसके बाद यूजीसी ने अधिकृत आदेश जारी कर दिया। इसमें 2009 के पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को पांच शर्तों के साथ नेट या स्लेट से छूट दी गई है। इससे इस परीक्षा में बदलाव की संभावना थी, लेकिन शासन ने इस बारे में कोई निर्देश नहीं दिया और पीएससी ने इसके बिना भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करने से इनकार कर दिया। इस पर विरोध हो रहा था और अब नए उच्च शिक्षामंत्री ने सीधे मुख्यमंत्री से बात कर इसे स्थगित कराया है।
अधिकांश ने जमा कर दिए फॉर्म
भर्ती स्थगित करने वाले तर्क दे रहे हैं कि पुराने नियमों के कारण कई अभ्यर्थी परीक्षा फॉर्म ही नहीं भर पाए। प्रदेश में नेट या स्लेट उम्मीदवारों की संख्या कम होने से अधिकांश पद प्रदेश के बाहर के उम्मीदवारों से भर जाएंगे, लेकिन वास्तविकता यह है कि पीएससी ने 2009 से पहले पीएचडी करने वाले ऐसे उम्मीदवारों को न तो फॉर्म भरने से रोका और न ही परीक्षा देने से जो पुराने नियमों के अनुसार अपात्र थे, यानी अधिकांश आवेदन ऐसे हैं जो वर्तमान में दिए गए नियमों के अंतर्गत आते हैं और उन्होंने फॉर्म जमा कर दिए हैं। उन्होंने पुराने हिसाब से पीएचडी और कोर्स वर्क के आधार पर अपना आवेदन जमा किया है।
नहीं पड़ेगा खास फर्क
साफ है कि प्रक्रिया स्थगित करने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। यानी एमफिल से अधिक आवेदन करने वाले अब भी परीक्षा फॉर्म नहीं भर पाएंगे। इससे ज्यादा से ज्यादा दो-चार हजार परीक्षा फॉर्म और बढ़ सकते हैं, यानी 35 हजार का आंकड़ा किसी भी सूरत में नहीं आएगा। उल्टा यह प्रक्रिया छह महीने से ज्यादा देरी से पूरी होगी।
पिछली बार से ज्यादा पद
पिछली बार असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भी 2100 के करीब थे। इसमें नेट या स्लेट का पेंच सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आया और उसके बाद एमपी-पीएससी ने सितंबर में 14 महीने के बाद पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया था। इस बार कुल पदों में बढ़ोतरी हुई। इसमें से 768 पद बैकलॉग से भरे जाएंगे और बाकी पर सीधी भर्ती होगी। जारी पदों में से 916 ऐसे हैं, जो प्रमोशन और रिटायरमेंट के कारण कॉलेजों में रिक्त हुए हैं, वहीं 687 पद नए सृजित किए गए हैं।