नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम की जमानत याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति आर. भानुमति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाकर्ता एवं केंद्रीय जांच ब्यूरो की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। भ्रष्टाचार के मामले में तिहाड़ जेल में बंद चिदम्बरम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। चिदम्बरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने तथा सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश की।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने अपनी दलील में कहा कि चिदंबरम की महज उपस्थिति ही गवाहों को डराने-धमकाने के लिए काफी है। उन्हें कम से कम तब तक जमानत नहीं दी जाये जब तक अहम गवाहों से पूछताछ नहीं हो जाती। मेहता ने कहा कि आज ऐसा दौर है जब आर्थिक अपराधों के आरोपी देश से भाग रहे हैं, एक राष्ट्र के रूप में देश इस समस्या से जूझ रहा है। सीबीआई ने पीठ को बताया कि भ्रष्टाचार मामले की जांच जारी है और सिंगापुर तथा मॉरीशस को भेजे गए आग्रह पत्र पर जवाब का इंतजार किया जा रहा है। सिब्बल और सिंघवी ने मेहता की दलीलों का पुरजोर विरोध किया। न्यायालय ने कोर्ट उठने के निर्धारित समय चार बजे के करीब 10 मिनट बाद तक चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।