नई दिल्ली। रेल कर्मचारियों की यूनियनों ने रेलवे के निजीकरण के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस ली है और 23 अक्टूबर को देशभर में सभी शाखाओं पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। रेलकर्मियों की सबसे बड़ी यूनियन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने यूनीवार्ता से कहा कि रेल यूनियनों के प्रतिनिधियों से हाल ही में रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात करके रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों के निजीकरण के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की थी और रेल मंत्री ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष से बात करने का आश्वासन दिया था लेकिन उसके चंद दिनों बाद ही नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अध्यक्षता में निजीकरण के क्रियान्वयन को लेकर उच्चाधिकार प्राप्त समिति बना दी गयी।
मिश्रा ने कहा कि अगर सरकार निजीकरण का पक्का इरादा करके बढ़ रही है तो रेल कर्मियों को भी मजबूत इरादे से इसका विरोध करना पड़ेगा। रेल यूनियनों के प्रतिनिधियों की आज की बैठक में तय किया गया कि सरकार के इस कदम के बारे में जनजागरण किया जाएगा और 23 तारीख को सभी यूनियन शाखा कार्यालयों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। एक सवाल पर उन्होंने बताया कि रेलवे में श्रमबल निर्धारण को लेकर नये मानदंड तय किये जाने को लेकर भी रेलकर्मी यूनियनों ने रेलवे बोर्ड के सदस्य कार्मिक से मिलकर कड़ा विरोध जताया है और सदस्य कार्मिक ने उसे दुरुस्त करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा संबंधी पदों पर एक कर्मचारी पर कई गुना काम का बोझ डालने से गाड़यिों के परिचालन प्रभावित होने और दुर्घटना होने की आशंका बढ़ सकती है।