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यौन उत्पीड़न के मामले में असम राइफल्स के मेजर जनरल बर्खास्त

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 18 2019 11:08AM | Updated Date: Aug 18 2019 11:08AM
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नईदिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कथित यौन उत्पीड़न मामले में एक सेवारत मेजर जनरल की बर्खास्तगी की सजा की पुष्टि की। सेना के अधिकारियों ने एएनआई को बताया, "सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने अधिकारी को दी गई सजा की पुष्टि की है। सेना के अधिकारियों के निर्णय को आज अंबाला में 2 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एमजेएस काहलों द्वारा मेजर जनरल को सूचित कर दिया गया। इस संबंध में जारी आदेशों के अनुसार, सेना प्रमुख ने सजा की पुष्टि पर जुलाई में ही दस्तखत कर दिए थे। आर्मी जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) ने पिछले साल 23 दिसंबर में यौन उत्पीड़न के दो साल से ज्यादा पुराने मामले में मेजर जनरल को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी।
 
सेना प्रमुख के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, मेजर जनरल के वकील आनंद कुमार ने कहा, "सजा की पुष्टि और इसका प्रचार अवैध है क्योंकि, सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) दिल्ली द्वारा पारित आदेशों के बावजूद, मेजर जनरल को आज तक कोर्ट-मार्शल की कार्यवाही की कॉपी नहीं दी गई है ताकि वह एक पूर्व-पुष्टि याचिका दाखिल कर सकें। उन्होंने कहा, "उनकी पुनर्विचार अर्जी भी लंबित है और इसके बावजूद जनरल रावत ने सजा की पुष्टि की, जिन्हें हमारे कानूनी नोटिस के माध्यम से एएफटी के आदेश के बारे में भी अवगत कराया था। हम इस पुष्टि आदेश को चुनौती देंगे। कोर्ट-मार्शल ने अधिकारी को आईपीसी की धारा 354 ए और सेना अधिनियम 45, जो सेना में अधिकारियों के अशोभनीय आचरण से संबंधित है, के तहत आरोपित किए जाने के बाद सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी।
 
सेना के नियमों के अनुसार, जीसीएम की सिफारिश उच्च अधिकारियों को पुष्टि के लिए भेजी जाती है। उच्च अधिकारी के पास सजा को बदलने की भी शक्तियां होती हैं। मेजर जनरल उस वक्त पूर्वोत्तर में तैनात थे जब यह कथित घटना 2016 के आखिर में हुई थी और अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए उन्हें सेना की पश्चिमी कमान के तहत चंडीमंदिर भेज दिया गया था। मेजर जनरल ने कैप्टन-रैंक महिला अधिकारी द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार किया था। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के समक्ष दायर एक याचिका में, अधिकारी ने दावा किया था कि वह सेना के भीतर गुटबाजी का शिकार था, जो उस वर्ष सेना प्रमुख की नियुक्ति के कारण कथित रूप से उत्पन्न हुई थी।
 
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