नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानावाधिकार आयोगों में लंबित मामलों की बढती संख्या और उसके पास पर्याप्त अधिकार नहीं होना चिंता का विषय है और उसकी स्वायत्तता बरकरार रहे इसको लेकर गंभीर होना आवश्यक है। लोकसभा में कांग्रेस के शशि थरूर ने शुक्रवार को मानव अधिकार अधिकार संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा राज्यों के मानवाधिकार आयोगों में पद रिक्त हैं और उनको भरने को लेकर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
उल्टे सरकार आधा अधूरा संशोधन विधेयक लाकर आयोग की शक्तियों को कम करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने भी कहा है कि आयोग के पास नौकरशाहों को दंडित करने का अधिकार होना चाहिए। आयोग के पास कुछ शक्तियां ही नहीं हैं और उन्हें बढाए जाने की सख्त जरूरत है। सरकार उसकी सिफारिशों को अनदेखा करती है जो मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए ठीक नहीं है। आयोग की बात मानने को कोई तैयार नहीं है क्योकि उसके पास अपनी बात मनवाने की ताकत नहीं है।
थरूर ने कहा कि मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए आयोग का गठन किया गया है और उसकी बात पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। इसको लेकर पेरिस सिद्धांत के तहत काम करने की आवश्यकता है ताकि दुनिया में हमारा सम्मान मानवअधिकारों को लेकर बढे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में बहुत कमियां हैं। यह विधेयक आयोग की शक्तियों तथा उसके न्यायालय के न्याधिकार को निर्धारित नहीं कर रहा है। यह विधेयक पर्याप्त नहीं है और इसमें बहुत सारी खामियां हैं इसलिए विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए।