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फ्लाइट कैंसिलेशन से प्रभावित हुए स्पाइसजेट के 70 हजार यात्री कंपनी ने दिया 1.27 करोड़ रुपए हर्जाना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 30 2019 12:42AM | Updated Date: Jun 30 2019 12:42AM
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नई दिल्ली। जनवरी से मई तक फ्लाइट कैंसिलेशन की वजह से सबसे ज्यादा 70,060 यात्री स्पाइसजेट के प्रभावित हुए। एयरलाइन ने इन यात्रियों को हर्जाने के तौर पर कुल 1.27 करोड़ रुपए का भुगतान किया। इस मामले में इंडिगो का दूसरा नंबर है। उसने 62,958 प्रभावित यात्रियों को कुल 12.14 लाख रुपए का हजार्ना दिया। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को लोकसभा यह जानकारी दी।

 
एयर इंडिया के 37079 यात्री प्रभावित हुए
ये जानकारी गुरुवार को लोकसभा में नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दी है। इस मामले में जेट एटरवेज भी पीछे नहीं है। इस एयरलाइन के 50,920 यात्री कैंसिलेशन से प्रभावित हुए हैं। जिन्हें 53.31 करोड़ रुपए हर्जाने के तौर पर दिए गए हैं। जेट एयरवेज ने 17 अप्रैल को संचालन बंद कर दिया था। उससे पहले एयरलाइन ने बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द की थीं। जनवरी से मई के बीच एयर इंडिया के 37,079 यात्री कैंसिलेशन से प्रभावित हुए। एयरलाइन ने उन्हें 89.4 लाख रुपए का हर्जाना दिया।
 
वित्त वर्ष 2018-19 में चालू खाते का घाटा बढ़कर 2.1%
नई दिल्ली। चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2018-19 में बढ़कर 57.2 अरब डालर रहा जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत है। इससे पिछले साल यह 1.8 प्रतिशत था। आरबीआई ने शुक्रवार को यह कहा। किसी निश्चित अवधि में शुद्ध विदेशी मुद्रा की आवक और निकासी का अंतर चालू खाते का घाटा होता है। वर्ष 2017-18 में 48.7 अरब डॉलर था। केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में मार्च तिमाही में घाटा कम होकर जीडीपी का 0.7 प्रतिशत यानी 4.6 अरब डालर रहने के बावजूद पूरे वित्त वर्ष का घाटा बढ़ा। वहीं मार्च 2018 तिमाही में 13 अरब डालर यनी जीडीपी का 1.8 प्रतिशत था। मार्च तिमाही में कैड की कमी मुख्य रूप से व्यापार घाटा (वाणिज्यिक निर्यात की तुलना में आयात के आधिक्य) के कारण रहा।
 
आरबीआई के अनुसार इस बार मार्च तिमाही में व्यापार घाटा 35.2 अरब डालर रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में 41.6 अरब डालर था। इसके कारण कैड में कमी आयी। लेकिन पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में व्यापार घाटा बढ़कर 180.3 अरब डालर रहा जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 160 अरब डालर था। इससे 2018-19 में कैड बढ़ा। शुद्ध रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मार्च तिमाही में 6.4 अरब डालर रहा जो 2017-18 की इसी तिमाही के बराबर है। पूरे साल 2018-19 में यह मामूली रूप से बढ़कर 30.7 अरब डालर रहा। बाह्य वाणिज्यिक उधारी के कारण शुद्ध प्रवाह उछलकर मार्च, 2018 को समाप्त तिमाही में 7.2 अरब डालर रहा जो एक साल पहले इसी तिमाही में एक अरब डालर था। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आलोच्य वर्ष में कुल मिला कर 3.3 अरब डालर की कमी दर्ज की गयी।
 
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