नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 में केंद्र सरकार कर राजस्व संग्रह लक्ष्य से 11 फीसदी कम रहा। ऐसा वस्तु एवं सेवा कर , व्यक्तिगत आयकर और केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली उम्मीद से कम रहने के कारण हुआ। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में 31 मार्च तक शुद्ध कर राजस्व 13.19 लाख करोड़ रुपए रहा, जो लक्ष्य से 1.6 लाख करोड़ रुपए कम है। 2017-18 में संशोधित लक्ष्य का 98 फीसदी कर संग्रह हुआ था। वित्त वर्ष 2019 में शुद्ध राजस्व संग्रह 6 फीसदी बढ़ा, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में इसमें 13 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। कर संग्रह कम रहने से राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना कठिन होगा।
लक्ष्य से कम रहा प्रत्यक्ष कर संग्रह
वित्त वर्ष के दौरान कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.38 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि लक्ष्य 12 लाख करोड़ रुपए का था। व्यक्तिगत आयकर संग्रह का लक्ष्य 10 फीसदी कम होकर 4.6 लाख करोड़ रुपए रहा। कर अधिकारियों ने संकेत दिया था कि व्यक्तिगत कर संग्रह का लक्ष्य ज्यादा था। केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह 89 फीसदी पर ठहरा कम करने की मांग भी की गई थी इसे कम करने की मांग भी की गई थी। कॉरपोरेट कर संग्रह का लक्ष्य 6.7 लाख करोड़ रुपए था और वसूली 6.6 लाख करोड़ रुपए रही। वित्त वर्ष 2018 में 9.8 लाख करोड़ रुपए के संशोधित अप्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य रखा गया था, जबकि वास्तविक वसूली 9.95 लाख करोड़ रुपए रही।
यह भी रहे लक्ष्य से पीछे
केंद्रीय जीएसटी संग्रह का संशोधित लक्ष्य 5 लाख करोड़ रुपए से 9 फीसदी कम होकर 4.5 लाख करोड़ रुपए रहा। सीमा शुल्क का संशोधित लक्ष्य 1.3 लाख करोड़ रुपए था और करीब 100 फीसदी शुल्क वसूल कर लिया गया। पिछले कुल मिलाकर अप्रत्यक्ष कर संग्रह वित्त वर्ष 2019 के 9.4 लाख करोड़ रुपए के संशोधित अनुमान से 10 फीसदी कम रहा। केंद्रीय उत्पाद शुल्क संग्रह भी लक्ष्य के 89 फीसदी पर ही ठहर गया।