नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि वर्षों से जिन्होंने संविधान सम्मत अधिकारों की रक्षा के लिए अपना ख़ून-पसीना बहाया है उनके लिए ‘‘दु:ख के दिन बीत गए है।’’ बघेल ने रविवार को यहां कॉन्स्टिटूशन क्लब में आयोजित ‘सम्मान समारोह’ में कहा ‘‘ 25 अगस्त सामाजिक न्याय के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। मंडल आयोग की रिपोर्ट के रचयिता बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की आज जयंती है। संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने आज के ही दिन अगर मेरा सम्मान करने का फैसला किया है तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है और मेरे लिए भावुक कर देने वाला पल है। ’’
इस कार्यक्रम का आयोजन संविधान बचाओ संघर्ष समिति द्वारा किया गया था। कार्यक्रम में राज्य सभा सांसद पी. एल. पुनिया, राज्य सभा के पूर्व सांसद शरद यादव, संविधान बचाओ संघर्ष समिति के अनिल जय हिंद सहित अन्य गणमान्य नागरिक गण भी उपस्थित थे। समारोह में यादव ने बघेल को बी पी मंडल सामाजिक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 340 को लागू करते हुए सामाजिक न्याय का जो पहलू छूट गया था, वह मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने के साथ आज से 26 साल पहले एक हद तक पूरा हुआ था।
उन्होंने कहा ‘‘मंडल साहब की सिफारिशों का जो हिस्सा ठीक तरह से लागू नहीं हुआ था, हमने छत्तीसगढ़ में उसे पूरा करने की कोशिश की है। दरअसल मैंने कोई ख़ास काम नहीं किया है, बस संविधान की सिफारिशों को ठीक तरह से लागू करने का फैसला किया है। गांधी-नेहरु की सर्वजन हिताए नीतियों पर विश्वास हमारी प्राथमिकता है।’’ मुख्यमंत्री कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री की तरह बस संविधान के बुनियादी सिद्धांत को लागू करने का प्रयास किया है। उनकी सरकार आते ही अमीर एवं गरीब के बीच भेद कम करने की दिशा में कई कड़े कदम उठाए। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए उन्होंने प्रदेश निवासी अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की घोषणा की।