यदि आप कृषि के विज्ञान पक्ष में करियर बनाने के इच्छुक हैं तो पशु विज्ञान इस संबंध में विशेष क्षेत्र है। पशु वैज्ञानिक मांस, मछली तथा डेयरी उत्पादों के उत्पादन तथा प्रसंस्करण में सुधार लाने के अनुसंधान कार्य करते हैं। वे पालतू बनाए गए फार्म पशुओं, आनुवंशिक, पोषण, पुनर्जनन, वर्धन तथा विकास का अध्ययन करने के लिए जैवप्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हैं।
कुछ पशुवैज्ञानिक पशुधन खाद्य उत्पादों का निरीक्षण तथा श्रेणीकरण करते हैं, पशुधन खरीदते हैं या तकनीकी बिव्री अथवा विपणन में कार्यरत हैं। विस्तार एजेंटों वैतनिक या सलाहकार के रूप में पशु वैज्ञानिक कृषि-उत्पादकों को पशु आवासन सुविधाओं को उपयुक्त रूप से बढ़ाने, अपने पशुओं की मृत्यु-दर कम करने, अपशिष्ट पदार्थों के उपयुक्त रूप से हस्तन या दूध या अंडों जैसे पशु-उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि करने के उपायों पर सलाह देते हैं।
कृषि-व्यवसाय एक बड़ा व्यवसाय है। इस व्यवसाय की पृष्ठभूमि रखने वाले व्यक्तियों की विपणन, वाणिज्य वस्तु विशेषज्ञों, विक्रय प्रतिनिधियों, कृषि अर्थशास्त्री, लेखाकार, वित्त-प्रबंधकों तथा जिंस व्यापारियों के रूप में आवश्यकता होती है और इन्हें इन क्षेत्रों में रोजगार पर रखा जाता है।
केवल ये ही नहीं, इनके अलावा और भी कई क्षेत्र हैं। करियर की अन्य संभावनाएं संचार तथा शिक्षा, समाज सेवा और कृषि उत्पादन के क्षेत्र में विद्यमान हैं। यद्यपि खाद्य उत्पादन कृषि उद्योग का मुख्य क्षेत्र है, किंतु जैसा कि हम पहले भी उल्लेख कर चुके हैं वस्त्र तथा रेशा भी कृषि उद्योग के एक बहुत बड़े भाग का हिस्सा है।
तैनाती तथा संभावनाएं
भारत, विश्व में वनस्पति तथा फलों के सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है और इसका पुष्पोत्पादन आधार भी उतना ही मजबूत है। आज भारत की कृषि सार्वभौम हो गई है तथा भारतीय कृषि को विश्व-अर्थव्यवस्था से मिलाने के दृष्टिकोण को समर्थन मिल रहा है। मशरूम से लेकर फूलों, मसालों, अनाज, तिलहन तथा वनस्पति जैसी कृषि सामग्रियों के एक निर्यातक के रूप में भारत की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं।
कृषि-उत्पादों के निर्यात के लिए सरकारी समर्थन मिलने से उन अग्रणी विदेशी कंपनियों के साथ व्यवसाय संस्थाओं में पर्याप्त रुचि उत्पन्न हुई हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी अंतरण करार, विपणन-समझौते तथा प्रबंध एवं व्यापार संबंध स्थापित किए हैं। बागवानी अपनी पुष्पोत्पादन शाखा के साथ निर्यात कार्यकलापों, का आकर्षण बन गई है। गुलाब, कार्नेशन्स, ग्लेडिओली, गुलदाउदी (व्रिसेन्थेमम्स), चमेली तथा अन्य उष्णकटिबंधी पौधों एवं फूलों का भारत का निर्यात नई ऊंचाईयों को छू रहा है।
फलों तथा वनस्पति के क्षेत्र में भी भारत की बहुत बड़ी निर्यात-संभावनाएं हैं। कृषि तथा बागवानी के व्यवसायीकरण के साथ ही वैतनिक कार्यों तथा उद्यम चलाने के विविध अवसर हैं। जहां एक ओर विभिन्न सरकारी तथा निजी संस्थाओं में वैज्ञानिक कार्य एक नियमित आय प्रदान करते हैं, वहीं दूसरी और उद्यम आकर्षक लाभ का सृजन कर सकते हैं।
होटल, स्वास्थ्य देखरेख संस्थाएं तथा हॉलीडे रिसोर्ट्स अपने आस-पास के परिवेश को सौंदर्यपूर्ण बनाने के लिए भूदृश्यांकनकतार्ओं तथा उद्यान विज्ञानियों की सेवाएं लेते हैं। पुष्प विव्रेता तथा पौधशालाएं (नर्सरी), विशेष रूप से महानगरों में, लाभप्रद व्यवसाय कर रही हैं। उपनगरों के फार्महाउस घरेलू मंडी के लिए महत्वपूर्ण वितरक बन गए हैं।
कृषि-विश्वविद्यालय
विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय, विशेषज्ञता के संबंधित क्षेत्रों से विभिन्न पदों के लिए कृषि स्नातकोत्तर व्यक्तियों की भर्ती करते हैं। नीचे कुछ ऐसे पद दिए गए हैं, जिन्हें सामान्यत: कृषि विश्वविद्यालय विज्ञापित करते हैं: पादप रोगविज्ञानी, ब्रीडर, कृषि मौसम विज्ञानी, आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, अनुसंधान इंजीनियर, सस्य विज्ञानी, वैज्ञानिक, एसोशिएट प्रोफेसर।
अन्य पद हैं - सहायक वैज्ञानिक, सहायक प्रोफेसर, जिला विस्तार विशेषज्ञ, सहायक पादप रोगविज्ञानी, सहायक बैक्टीरियोलोजिस्ट, सहायक वनस्पति विज्ञानी सहायक मृदा रसायन, सहायक मृदा विज्ञानी, सहायक आर्थिक वनस्पति विज्ञानी, सहायक फल ब्रीडर, सहायक बीज अनुसंधान अधिकारी, कनिष्ठ कीट विज्ञानी, सहायक ब्रीडर, कनिष्ठ ब्रीडर, कनिष्ठ सस्य विज्ञानी, सहायक पौधा वनस्पति विज्ञानी, बीज उत्पादन सहायक, सहायक अनुसंधान वैज्ञानिक, सहायक पादप शरीर विज्ञानी।
उक्त सभी पदों के लिए योग्यता संबंधित विषय में डॉक्टर डिग्री/मास्टर डिग्री हैं। तथापि, कुछ पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में अनुभव अपेक्षित होता है तथा सहायक प्रोफेसर और अन्य अध्यापन पदों के लिए उम्मीदवार नेट उत्तीर्ण होने चाहिए। वरिष्ठ स्तर के पदों के लिए संबंधित क्षेत्र में पीएच.डी. एक अनिवार्य अपेक्षा होती है।