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Career

सफलता के लिए खुद की कोशिश जरूरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 27 2016 11:38AM | Updated Date: Sep 27 2016 11:38AM
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कॅरियर की डगर पर आगे बढ़ाने के लिए खुद ही कोशिश करना होती है। सफलता के लिए बिना झुंझलाहट के साथ और बिना विचलित हुए बाधाओं का सामना करना होता है। एक उदाहरण से इस बात को समझा जा सकता है। एक दिन एक युवक साइकिल से कहीं जा रहा था। अचानक उसकी साइकिल का एक पहिया रास्ते में पड़े एक पत्थर से टकरा गया और वह गिर पड़ा। वह झुंझलाकर उठा और गुस्से में उसने पत्थर पर अपने पैर से एक जोरदार ठोकर मार दी। इससे उसका पैर बुरी तरह जख्मी हो गया। वह पत्थर की ओर हिकारत से देखकर गालियां दिए जा रहा था।
 
उसने यह नहीं सोचा कि उसके ऐसा करने से न तो उस पत्थर को कोई फर्क पड़ रहा था और न ही उसे वहां डालने वाले को। 
राह चलते लोग भी उस युवक पर हंसे जा रहे थे। तभी उधर से गुजरता हुआ एक आदमी पास आकर बोला- भैया, गलती तो आपकी भी है। माना कि सड़क पर पत्थर फेंकने वाले ने बड़ी गलती की है, लेकिन आपने भी तो बीच रास्ते पर पड़े इस पत्थर को अनदेखा करके उसी पर अपनी साइकिल चढ़ा दी। यह सुनकर युवक ने उसे भी अनाप शनाप कहना शुरू कर दिया। 
 
आम जिंदगी में अक्सर यही स्थिति हममें से बहुतों की होती है। यहां दिए गए उदाहरण से हमें एक बड़ी सीख यह मिलती है कि कोई भी व्यक्ति परिस्थितियों पर अपना जोर नहीं चला सकता, लेकिन यदि वह अपने गुणों के विकास में लग जाए, तो विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में कर सकता है। 
 
कॅरियर में सफलता का यही मूलमंत्र है। हम यह उम्मीद करें कि दूसरे लोग हमारी सुविधा के लिए मार्ग प्रशस्त करेंगे, तो यह सोचना गलत है। सच यही है कि हर मनुष्य को अपने लिए खुद ही कोशिश करनी होती है। दूसरे लोग तो राह दिखा भर सकते हैं, उस राह पर चलना और खुद को साबित करना उसका अपना दायित्व हो जाता है।
 
उसे अपना प्रगति रूपी मार्ग स्वयं ही बनाना पड़ेगा और राह में आने वाली रूकावटों से खुद ही लड़ना होगा। यद्यपि कॅरियर की डगर पर आगे बढ़ते समय कोई भी युवक दूसरों का कुछ सहयोग ले सकता है, लेकिन उसकी एक सीमा अवश्य होनी चाहिए। 
 
जहां दूसरों का सहयोग हमें तेजी से आगे बढ़ने में सहायता करता है, वहीं वह हमारी स्वाभाविक क्षमता के विकास में बाधक भी बनता है। हम उस सहारे के आदी हो जाते हैं। यदि एक बार बैसाखी के साथ चलने की आदत हो गई, तो कभी किसी वजह से वह छिन जाए, तो हम धड़ाम से नीचे गिर पड़ते हैं और फिर दोबारा उठने में बहुत समय लगता है, इसलिए कॅरियर की तैयारी के समय दूसरों की मजबूत और सुंदर दीवारों का सहारा लेने की बजाय अपनी कच्ची और मामूली-सी लगने वाली दीवार का सहारा लेने की आदत डालना चाहिए। 
 
यदि अपने कामों के लिए सदैव दूसरों पर निर्भर रहने की आदत डाल लेंगे, तो हम तभी तक सफल रह सकेंगे, जब तक दूसरा चाहेगा। जैसे ही उसने अपनी सहायता का हाथ खींचा, हमारी हालत मकड़ी जैसी हो जाना है। उस मकड़ी की तरह जो लोग बिना अपनी योग्यता और सामर्थ्य के किसी दूसरे के सहारे ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं, वे एक हल्के से आघात से ही फौरन नीचे आ जाते हैं।
 
ऊंचाई पर केवल वही लोग टिक पाते हैं, जो दूसरों के सहयोग के साथ-साथ अपनी योग्यता और क्षमता का विकास कर लेते हैं। हर युवक को चाहिए कि कॅरियर बनाने के लिए खुद ही कोशिश करे और अपने समर्पित परिश्रम से सफलता की मंजिल की ओर आगे बढ़े।
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