नई दिल्ली। छोटे एवं मध्यम उद्यमों को काम करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) लिमिटेड ने स्पष्ट किया है कि 173.50 करोड़ रुपए की बैंक गारंटियां एनएसआईसी द्वारा भुना ली गई थीं और इससे प्राप्त राशि यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया (यूबीआई) द्वारा एनएसआईसी को अभी जारी की जानी बाकी है। यूबीआई के शेयर बाजारों को इस संबंध दिए स्पष्टीकरण के बाद एनएसआईसी ने अपना बयान जारी किया है। उसने इस संबंध में शेयर बाजारों को भी सूचित किया है जिसमें उसने यूबीआई के आरोप का खंडन किया है। एनएसआईसी ने स्पष्ट किया है कि यूबीआई द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण तथ्यात्मक रूप से गलत है।
उसने कहा है कि एनएसआईसी ने 26 जुलाई 2016 को यूबीआई के विरुद्ध एक शिकायत दर्ज करायी थी कि कुछ यूनिटों तथा दूसरी एजेसियों ने एनएसआईसी से 173.50 करोड़ रुपए का धोखाधड़ी की है। एनएसआईसी द्वारा 155.50 करोड़ रुपये की राशि की बैंक गारंटी (बीजी) को समय-समय पर तथा समय से पूर्व भुनाने संबंधी यूबीआई के तर्क को भी उसने गलत बताया है। एनएसआईसी ने कहा है कि ये बैंक गारंटियां उसके द्वारा भुनायी नहीं गई हैं जैसा कि यूबीआई ने आरोप लगाया है। एनएसआईसी के कब्जे में 155.50 करोड़ रुपये की मूल बैंक गारंटियां हैं।
इसके अतिरिक्त 18 करोड़ रुपये मूल्य की बैंक गारंटियों के बारे में उसने स्पष्ट किया है कि ये बैंक गारंटियां यूबीआई द्वारा जारी की गई थीं और 18 करोड़ रुपए की मूल बैंक गारंटियां एनएसआईसी के पास भी थीं और जांच पड़ताल में इसकी पुष्टि हो चुकी है। उसने कहा है कि पश्चिम बंगाल सीआईडी जुलाई 2017 से इस मामले की जांच कर रहा है। उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय के यूबीआई में 173 करोड़ रुपये के मामले के संबंध में मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज करने के बाद बैंक ने यह स्पष्टीकरण जारी किया था जिसमें उसने एनएसआईसी को बैंक गारंटी जारी किए जाने की बात कही थी।