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ITR फाइल करना अब हुआ आसान, पहले ही भरी मिलेंगी ये जानकारियां

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 21 2019 2:07PM | Updated Date: Aug 21 2019 2:07PM
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नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) का नाम लेते ही लोगों के दिमाग में बेहद कठिन और उलझा देने वाले कैलकुलेशन का खाका घूम जाता है। लोगों को अकसर फॉर्म में म्यूचुअल फंड्स और गेन्स, इक्विटी पर लॉस और ब्याज से कमाई आदि का ब्योरा भरना बेहद मुश्किल लगता है। अब आपकी यह मुश्किल जल्द ही आसान होने वाली है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नए प्लान को लागू किया जाता है तो I-T रिटर्न फॉर्म में ये जानकारियां पहले भरी हुई होंगी। आपको बस इन्हें चेक करना है और फाइल कर देना है।
 
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि प्री-फिल्ड रिटर्न फॉर्म को अगले स्तर तक ले जाने के लिए रेवेन्यू डिपार्टमेंट मार्केट रेग्युलेटर सेबी से बातचीत कर रहा है और टैक्सपेयर्स के निवेश ब्योरा हासिल करने पर चर्चा कर रहा है। अधिकारी ने कहा, 'हम सेबी के साथ बात कर रहे हैं। हमारी दो राउंड की बैठक पहले ही हो चुकी है।' यह टैक्सपेयर्स को सुविधा देने के सरकार के प्लान का हिस्सा है। अधिकारी ने कहा कि प्री-फिल्ड फॉर्म्स जल्द ही टैक्सपेयर के फॉर्म 16 से सैलरी ब्रेकअप हासिल कर लेगा।
 
मौजूदा समय में सैलरी ब्रेकअप खुद ही भरना होता है, जो कुछ लोगों के लिए दुविधा में डालने वाला हो सकता है। टैक्सपेयर का करंट प्री-फिल्ड फॉर्म उसके पर्मानेंट अकाउंट नंबर (PAN) के इस्तेमाल से डाउनलोड किया जा सकता है, जिसमें पर्सनल डीटेल्स, चुकाए गए टैक्स और बैंक अकाउंट की जानकारी होती है। इन बैंक अकाउंट्स के इस्तेमाल से इनकम टैक्स यूटिलिटी खुद ही सभी सेविंग अकाउंट्स से ब्याज आमदनी हासिल कर लेगा। इससे सुनिश्चित होगा कि टैक्सपेयर कोई इनकम मिस ना करे और डिपार्टमेंट को पूरा टैक्स मिले।
 
अधिकारी ने कहा कि इसके पीछे टैक्सपेयर की सुविधा का विचार है। सरकार पहले ही फेसलेस असेसमेंट की ओर बढ़ चुकी है ताकि टैक्सपेयर और अधिकारियों की मुलाकात पर अंकुश लगे। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट एनुअल इन्फॉर्मेशन रिटर्न के माध्यम से अघोषित आय पर नजर रखने के लिए टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रहा है, जो एक व्यक्ति द्वारा तय सीमा से ऊपर किए गए खर्चों को रेकॉर्ड करता है, जैसे क्रेडिट कार्ड खर्च, और म्यूचुअल फंड में निवेश। डिपार्टमेंट अब टैक्सपेयर्स की सुविधा के लिए टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करना चाहता है।
 
टैक्स एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सरकार टैक्स लीकेज रोकने के लिए टेक्नॉलजी का इस्तेमाल कर रही है अब यह टैक्सपेयर्स के लिए भी सुविधाजनक होगा। मौजूदा समय में, प्री-फिल्ड ITR फॉर्म 1 और 2 में पर्सनल डीटेल्स, नियोक्ता, टैक्स छूट अलाउंस, टीडीएस आदि की जानकारी होती है। स्वीडन जैसे कुछ देश प्री-फिल्ड टैक्स रिटर्न फॉर्म के कॉन्सेप्ट को सफलतापूर्वक लागू कर चुके हैं। भारत ने इस प्रक्रिया को इस साल सीमित रूप से शुरू किया है और इसे अगले स्तर तक ले जाने का विचार है और अंत में इसे उस स्तर पर ले जाया जाएगा जहां टैक्सपेयर को सिर्फ एक नजर मारकर सबमिट का बटन दबाना होगा। 
 

 

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