नई दिल्ली। देश के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल (सीपीसीबी) को निर्देश दिया है कि देशभर के नाजुक और गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों में मौजूद प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को तीन महीने में बंद किया जाए। एनजीटी ने फैसला देते हुए कहा कि आर्थिक विकास लोगों के स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर नहीं किया जा सकता। सीपीसीबी और स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मिलकर एक अध्ययन किया था, जिसमें देशभर के औद्योगिक क्ल्स्टर्स को इस आधार पर अलग-अलग कैटेगरी में रखा गया था कि वे कितने प्रदूषित हैं।
अध्ययन में तीन कैटेगरी तय की गई थी। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने सीपीसीबी को निर्देश दिया है कि वह राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के साथ मिलकर आकलन करे कि इन क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों ने पिछले पांच साल में कितना प्रदूषण फैलाया है और उसके लिए इनसे कितना मुआवजा लिया जाना चाहिए। इस मुआवजे में उस क्षेत्र को प्रदूषण मुक्त बनाने में लगने वाली राशि और लोगों को सेहत और पर्यावरण को हुए नुकसान को शामिल किया जाएगा। ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी से तीन महीने के अंदर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है और मामले की सुनवाई के लिए 5 नवंबर तारीख तय की है।