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#MeToo पर बोलीं शमा सिकन्दर, कोई जांघ तो कोई पीठ पर हाथ फेरता था

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 26 2018 12:45PM | Updated Date: Oct 26 2018 12:45PM
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मुंबई। जानी-मानी ऐक्ट्रेस शमा सिकंदर करियर के इस मुकाम पर काम और जिंदगी के बीच संतुलन साधना सीख गई हैं। कभी जीवन से निराश हो चुकीं शमा आज अपनी जीवन शैली और काम से लोगों की प्रेरणा बन चुकी हैं। इस खास मुलाकात में वह #मीटू के अपने कड़वे अनुभवों के साथ प्यार-मोहब्बत की बातें भी शेयर कर रही हैं।

 
मैं यही कहना चाहूंगी कि #मीटू इंडस्ट्री में सालों से है। आज फर्क सिर्फ इतना पड़ा है कि इस मुद्दे पर महिलाओं के खुलकर बात करने के बाद मर्दों की जमात टेंशन में है। अगर मैं कहूं कि 80 प्रतिशत मर्दों की नींद हराम हुई है, तो गलत नहीं होगा। हमेशा से महिलाओं का शोषण होता रहा है और उन्हें दबाया जाता रहा है। उनका तरीका अलग होता है। मैं तो ऐसे अनेकों अनुभवों से गुजरी हूं, मगर मेरी स्पिरिचुअल ट्रेनिंग ऐसी हुई है कि मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती हूं। मैं जब इस क्षेत्र में आई थी, तो महज 13-14 साल की थी। उस वक्त समझ में नहीं आता था, जब कोई बहाने से जांघ या पीठ पर हाथ फेरता था।
 
असल में घर की बुरी आर्थिक स्थिति के कारण छोटी उम्र से काम करना पड़ा था। फिल्मी पार्टियों की चमक-दमक देखकर मेरे पिताजी को लगा कि इस इंडस्ट्री में पैसा और सम्मान दोनों ही है। फिर, मेरी एजुकेशन तो हुई नहीं थी, मगर कला ही सहारा थी। मुझे याद है कि किसी के बुरे बर्ताव पर जब मैं आवाज उठाती, तो इंडस्ट्री की एक जानी-मानी हेयर ड्रेसर मुझसे कहती कि इतने नखरे मत करो, वरना तुम्हें काम नहीं मिलेगा। यही नहीं, मुझे 'कॉम्प्रोमाइज' न करने की सूरत में चार प्रॉजेक्ट्स से निकाल दिया गया था।
 
मैं सेट पर अपने पिताजी के साथ जाया करती थी और अक्सर मुझसे कहा जाता था कि मैं शूटिंग पर अपने पिताजी के साथ क्यों आती हूं। एक बहुत बड़े निर्देशक हैं। मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूंगी, मगर वे महिला प्रधान फिल्में बनाने वाले प्रतिष्ठित फिल्मकारों में से हैं। साइन करते वक्त वह मुझे बेटा-बेटा कह रहे थे, मगर एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि वह मुझसे अकेले में मिलना चाहते हैं। मैं पिताजी के साथ गई और उन्होंने मुझे सांत्वना दी कि वह मेरे साथ हैं। वह लॉबी में बैठ गए।
 
उस निर्देशक ने मुझसे सीधे-सीधे पूछ लिया कि मुझे फिरोज खान ने लॉन्च किया है, तो क्या उन्होंने मेरे साथ कुछ भी ऐसा-वैसा नहीं किया? मुझे बहुत अजीब लगा, मगर मैंने उन्हें साफ-साफ कह दिया कि फिरोज खान मुझे बेटी की तरह ही मानते थे। इसके बाद वह डायरेक्टर इधर-उधर की बातें करने लगा और कहने लगा कि जिस लड़की ने उसका दिल तोड़ा था, उसकी झलक उन्हें मुझमें मिल रही है और अब मैं उनके दिल का सहारा बन जाऊं।
 
इसी बीच उनकी बीवी अपने कुत्ते को टहलाते हुए आईं, तो उन्होंने झट से बात बदल डाली। बहरहाल, जब मेरे सामने उनकी दाल नहीं गली, तो अगले दिन उन्होंने मुझे अपनी ऐड फिल्म से निकाल बाहर किया। उस वक्त उस ऐड से निकाला जाना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। मैं कई दिन तक रोती रही और डिप्रेशन में रही। 
 
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