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राजेंद्र कुमार को बॉलीवुड में पहचान बनाने के लिए लग गए थे 7 साल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 20 2018 12:20PM | Updated Date: Jul 20 2018 12:20PM
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मुंबई। बॉलीवुड में अपनी बेहतरीन अदाकारी से लोगों के दिलों में जगह बनाने वाले राजेन्द्र कुमार की 20 जुलाई को बर्थ एवर्सरीनि है। राजेन्द्र कुमार ने करीब चार दशक तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। यहां तक कि राजेन्द्र कुमार को 60 के दशक का सबसे बेहतरीन एक्टर माना जाता था।
 
राजेन्द्र कुमार की जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने किस्से  हैं। फिल्मों में काम करने के लिए राजेन्द्र कुमार को काफी संघर्ष करना पड़ा था। कहा जाता है कि जिस वक्त वह मुंबई आए थे उनकी जेब में महज 50 रुपए थे जिसे उन्होंने अपने पिता की घड़ी बेचकर हासिल किए थे।
जानकारी के मुताबिक राजेन्द्र कुमार को गीतकार राजेन्द्र कृष्ण की मदद से 150 रुपए की तनख्वाह पर डायरेक्टर एचएस रवैल के सहायक के तौर पर काम मिला था। 
 
राजेन्द्र कुमार को पहली बार बड़े परदे पर साल 1950 में आई फिल्म 'जोगन' में देखा गया था। इस फिल्म में मुख्य किरदार में दिलीप कुमार थे। फिल्म में काम तो मिल गया था लेकिन पहचान बनाने के लिए राजेन्द्र कुमार को 7 साल लग गए।
 
'मदर इंडिया' में काम करने का मिला था मौका  
 
इसके बाद साल 1957 में नरगिस के साथ राजेन्द्र कुमार को 'मदर इंडिया' में काम करने का मौका मिला। फिल्म में राजेन्द्र कुमार का किरदार तो बहुत छोटा था लेकिन उनके काम की जमकर तारीफ की गई।  साल 1963 में 'महबूब' फिल्म सुपर हिट हुई जिसके बाद राजेन्द्र कुमार ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1963 से 1966 के दौरान सभी फिल्में सुपरहिट हुई।
 
जुबली कुमार कहकर बुलाते थे लोग  
जाता है कि उस वक्त हर सिनेमाघर में राजेन्द्र कुमार की ही फिल्म लगी थी और सभी फिल्मों ने सिल्वर जुबली मनायी। जिस वजह से लोग राजेन्द्र कुमार को 'जुबली कुमार' कहकर बुलाने लगे।  कहा जाता है कि राजेश खन्ना के फिल्मों में आते ही राजेन्द्र कुमार का स्टारडम फीका पड़ने लगा। हालांकि उन्होंने अपने बेटे कुमार गौरव के लिए फिल्म का निर्देशन भी किया। इस फिल्म का नाम 'लव स्टोरी' था। 
 
राजेश खन्ना को बेच दिया था  अपना बंगला
एक वक्त ऐसा आ गया था जब राजेन्द्र कुमार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। यहां तक कि उन्होंने अपना बंगला राजेश खन्ना तक को बेच दिया था। इस बंगले का नाम उस वक्त 'डिंपल' था।  लोगों का कहना है कि जिस दिन राजेन्द्र कुमार ने बंगला छोड़ा था वह उस रात फूट-फूटकर रोए थे।  राजेन्द्र कुमार का फिल्मों में बहुत योगदान रहा है जिस वजह से उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
 

 

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