29 Mar 2024, 15:36:11 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

मुम्बई। बॉलीवुड में माला सिन्हा उन गिनी चुनी चंद अभिनेत्रियों में शुमार की जाती है जिनमें खूबसूरती के साथ बेहतरीन अभिनय का भी संगम देखने को मिलता है। 11 नवम्बर 1936 को जन्मी माला सिन्हा अभिनेत्री नर्गिस से प्रभावित थीं और बचपन से ही उन्हीं की तरह अभिनेत्री बनने का ख्वाब देखा करती थीं। उनका बचपन का नाम आल्डा था और स्कूल में पढने वाले बच्चे उन्हें ..डालडा.. कहकर पुकारा करते थे। बाद में उन्होंने अपना नाम अल्बर्ट सिन्हा की जगह माला सिन्हा रख लिया।
 
स्कूल के एक नाटक में माला सिन्हा के अभिनय को देखकर बंगला फिल्मों के जाने-माने निर्देशक अर्धेन्दु बोस उनसे काफी प्रभावित हुए और उनसे अपनी फिल्म..रोशनआरा.. में काम करने की पेशकश की। उस दौरान उन्होंने कई बंगला फिल्मों में काम किया। एक बार बंगला फिल्म की शूंिटग के सिलसिले में उन्हें मुम्बई जाने का अवसर मिला। मुम्बई में उनकी मुलाकात केदार शर्मा से हुई जो उन दिनो .. रंगीन रातें.. के निर्माण में व्यस्त थे।
 
उन्होंने माला सिन्हा को अपनी फिल्म के लिये चुन लिया। वर्ष 1954 में माला सिन्हा को प्रदीप कुमार के बादशाह, हेमलेट जैसी फिल्मों में करने का मौका मिला लेकिन  दुर्भाग्य से उनकी दोनों फिल्में टिकट खिड़की पर विफल साबित हुई। माला सिन्हा के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक गुरुदत्त की 1957 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म ..प्यासा .. से चमका। इस फिल्म की कामयाबी ने उन्हें .स्टार. के रूप में स्थापित कर दिया। इस बीच उन्होंने राजकपूर के साथ परवरिश, फिर सुबह होगी देवानंद के साथ लव मैरिज और शम्मी कपूर के साथ फिल्म उजाला में हल्के-फुल्के रोल कर अपनी बहुआयामी प्रतिभा का परिचय दिया।
 
 
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